भोपाल। यदि सत्ता निरंकुश हो जाये तो किस प्रकार उच्च शिक्षित वर्ग का शोषण किया जाता है इसकी बानगी इन दिनों मध्यप्रदेश में आसानी से देखी जा सकती है जहां नेट, सेट और पीएचडी जैसी योग्यताधारी अतिथिविद्वान मजदूरी करके जीवन यापन करने को मजबूर हो रहे है।
उल्लेखनीय है कि राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में पिछले 64 दिनों से आंदोलनरत अतिथिविद्वान कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री कमलनाथ से वचनपत्र अनुसार नियमितिकरण का वादा पूरा करने की मांग कर रहे है। अतिथिविद्वानों का आरोप है कि सरकार गठन के एक साल से आधिक का समय बीत जाने के बाद भी सरकार ने अब तक नियमितिकरण कि प्रक्रिया प्रारंभ नही की है।
पकौड़े और चाय बेचने को मजबूर अतिथि विद्वान
अतिथि विद्वान नियमितिकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार सरकार ने 64 दिनों के आंदोलन के बाद भी हमारी कोई खबर लेने की कोई कोशिश नही की है। नौकरी से बाहर होकर तो पहले की बेरोजगार हो चुके है, इस कारण हमने आज शाहजहांनी पार्क के सामने पकौड़े और चाय बेचकर अपना विरोध दर्ज कराया है। जब प्रदेश सरकार अपने राज्य के उच्च शिक्षित बेटे और बेटियों को रोजगार नही दे पा रही है तो युवाओं और किसानों का क्या हाल होगा यह आसानी से समझा जा सकता है। बेरोजगारी और विगत 8 माह के वेतन को रोकक उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथिविद्वान को भूखों मरने पर मजबूर कर दिया है।पकौड़े और चाय बेचकर अतिथिविद्वानों ने लगभग 190 रुपये कमाए है जिसे जल्द मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाने की कार्यवाही की जाएगी।
अतिथिविद्वान, शिक्षित बेरोजगार, युवा और किसान मध्यप्रदेश में सब के सब बेहाल
64 दिनों के बाद भी यदि सरकार इतनी संवेदनहीन बानी हुई है तो शायद अब वह हमारी मृत्यु की प्रतीक्षा में है, तो हम सरकार को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हम इसके लिए भी तैयार है। यह कहना है अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया का। उनके द्वारा आगे बताया गया कि महाविद्यालय की कक्षा छोड़कर हमें कांग्रेस सरकार द्वारा सड़क पर तो पहले ही ला दिया गया था, अब हमें मजबूरन चाय और पकौड़े बेचने पड़ रहे है। वास्तव में अतिथिविद्वान आंदोलन कमलनाथ सरकार की एक वर्ष के शासन का ही लेखा जोखा है। अब जनता को यह फैसला करना है कि कौन सही है और कौन गलत।