भोपाल। भोपाल के शाहजहानी पार्क में 45 दिन से लगातार अलग-अलग ढंग से सत्याग्रह करने वाले अतिथि शिक्षक सरकार के सामने अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। कभी कपड़े उतारकर, कभी रैली निकालकर, कभी नारे लगाकर, कभी मुंडन करवाकर तो कभी सांकेतिक तौर पर कफन ओढ़कर अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार के कान में जॅू तक भी नहीं रेंग रही है।
अतिथि शिक्षक 12 वर्षों से मामूली मानदेय पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश भर में करीब 80 हजार अतिथि शिक्षक 1 लाख 26 हजार स्कू लों में सेवाएं दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में बिंदु क्रमांक 16.28, 47.23 के अंतर्गत अतिथि शिक्षकों को 3 माह में नियमित करने की घोषणा की गई थी। साथ ही 12 नवंबर 2018 को तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यमक्ष कमलनाथ ने मीडिया के समक्ष वचन दिया था कि कांग्रेस की सरकार बनने के तीन माह के भीतर गुरूजियों की तरह अतिथियों को भी स्थाई कर दिया जाएगा।
23 जनवरी 2019 को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी अतिथि शिक्षकों की मांगों को पूरा करने के लिए अपने वचन पत्र के प्रति कटिबद्ध है। वहीं 02 मार्च 2019 को जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा था कि अतिथि शिक्षकों को गुरूजियों की तरह पक्का किया जाएगा। आज एक साल से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन सरकार इनकी सुध भी नहीं ले रही है। यही नहीं पिछले 8 माह से इनको वेतन भी नहीं मिला है। काफी इंतजार के बाद ये लोग आर-पार की लड़ाई पर उतारू हुए हैं। पूरे प्रदेश के अतिथि शिक्षक हड़ताल कर रहे हैं।
आखिर जिन मुद्दों पर या जिन वचनों पर सरकार ने चुनाव लड़ा था उनमें से एक वचन इन अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण का भी था। सरकार अपने वचन से पीछे क्यों हट रही है। आखिर वजह क्या है। क्या सरकार ने सिर्फ चुनाव जीतने के लिए वचन दिए थे या सरकार के पास इनको नियमित करने के कोई साधन ही उपलब्ध नहीं हैं। सरकार कहती है कि उसके पास पैसे नहीं हैं तो फिर आईफा अवार्ड के लिए करोड़ों रुपए कहां से आ जाते हैं। कमलनाथ सरकार और कितने के साथ वादाखिलाफी का दाग लगवाएगी। किसानों को छला, बेरोजगारों को ठगा और अब अतिथि शिक्षकों की बारी है।