भोपाल। रविवार को दिवंगत अतिथिविद्वान संजय कुमार के परिजन उनके अस्थिकलश के साथ राजधानी भोपाल पहुँच रहे है। जहां पर शाहजाहानी पार्क में अतिथिविद्वानों के पंडाल में एक विशाल श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है। जहां पर पूरे प्रदेश के अतिथिविद्वान अपने दिवंगत साथी की याद में श्रद्धांजलि सभा मे उपस्थित होंगे।
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा में संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा कि अतिथि विद्वान व्यवस्था एक ऐसा अजगर है जो एक के बाद एक निर्दोष अतिथि विद्वानों को निगलता जा रहा है। न कोई अवकाश, न कोई भत्ता, बल्कि बिना किसी भविष्य संरक्षण उपायों के पिछले दो दशकों से अध्यापन कार्य करते करते ओवर ऐज हो चुके अतिथिविद्वानों के पास अब नियमितीकरण न होने की दशा में आत्महत्या के अतिरिक्त और कोई रास्ता शेष नही बचा है। उम्र के इस पड़ाव पर यदि सरकार हमें वचन देने के बाद भी अपने वादे से मुकरती है तो फिर अतिथिविद्वानों कहां जाएंगे।
हर स्तर पर योग्यता साबित कर चुके हैं अतिथिविद्वान
अतिथिविद्वान नियमितिकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि अतिथिविद्वानों ने हर स्तर पर अपनी योग्यता साबित की है। प्रदेश स्तरीय मेरिट के आधार पर, नेट, सेट व पीएचडी जैसी उच्चयोग्याताधारी अतिथिविद्वानों का चयन राज्य शासन द्वारा किया जाता है। अध्यापन के साथ साथ अतिथिविद्वान महाविद्यालयों में परीक्षा, मूल्यांकन, एनएसएस, नैक जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का बखूबी निर्वहन करते आये हैं। यही नही सहायक प्राध्यापक परीक्षा में भी अतिथिविद्वानों ने उच्च अंक अर्जित किये हैं, किन्तु पदों की कमी के कारण वे चयनित नही हो पाए। डॉ मंसूर अली ने आगे कहा कि इतने वर्षों की सेवा के बाद अब हमें और कौन सी योग्यता साबित करना बाकी रह गया है। कमी अतिथिविद्वानों में नही बल्कि सरकार की इच्छाशक्ति में है। मज़बूत राजनैतिक इच्छाशक्ति के साथ एक सप्ताह में नियमितीकरण की समस्या का आसान हाल ढूंढा जा सकता है।
कई अतिथिविद्वानों की हो चुकी है असमय मृत्यु
अतिथिविद्वान नियमितीकरण मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार पूर्व में फालेन आउट करके नौकरी से निकाले जाने के कारण तथा नियमितीकरण न हो पाने के कारण अतिथिविद्वान बेहद तनावग्रस्त जीवन गुज़ार रहे हैं। अनिश्चित भविष्य व बेरोजगार हो जाने के तनाव को कई अतिथिविद्वान झेल नही पाए और कुछ की ह्दयाघात तो कुछ अन्य कारणों से मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं। यहां तक कि कई अतिथिविद्वानों को घातक बीमारियों ने घेर लिया है।जबकि सरकार अब तक नियमितीकरण का वादा पूरा नही कर सकी है।
69 दिनों से जारी है आंदोलन
भोपाल स्थित शाहजहांनी पार्क लगातार 69 दिनों से अतिथिविद्वानों के आंदोलन का गवाह बना हुआ है। मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार कड़ाके की ठंड भी अतिथिविद्वानों के हौसलों को पस्त नही कर सकी है। हमने काँपते हुए शाहजहांनी पार्क में कड़ाके की ठंड में रातें गुज़ारी है। लेकिन सरकार अब तक हमारे विषय मे संवेदनहीन बनी हुई है।