भोपाल। कमलनाथ सरकार ने मुझे कहीं का नही छोड़ा। अपने छोटे छोटे बच्चों को लेकर अब मैं कहाँ जाऊंगी। मेरे परिवार का एकमात्र सहारा हमें छोड़कर चला गया। लंबे समय से लंबित वेतन और आर्थिक तंगी ने मेरे पति को अंदर से तोड़कर रख दिया था। अब हमारा क्या होगा। हमारे पास अब मृत्यु का वरण कर लेने के अलावा कोई रास्ता शेष नही बचा है। यह हदयविदारक बातें दिवंगत अतिथिविद्वान स्व. संजय कुमार की धर्मपत्नी श्रीमती लालसा देवी ने शाहजहांनी पार्क भोपाल में उपस्थित पत्रकारों के समक्ष कही।
विदित हो कि शाहजहांनी पार्क में आज अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर दिवंगत साथी की आत्मा की शांति के लिए एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया था। इस प्रार्थना सभा मे शामिल होने दिवंगत अतिथि विद्वान की धर्मपत्नी एवं उनके परिजन गृह जिले बलिया उत्तरप्रदेश से आज शाहजहांनी पार्क भोपाल पहुँचें थे। अतिथि विद्वान नियामितिकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ सुरजीत भदौरिया एवं डॉ देवराज सिंह के अनुसार कांग्रेस सरकार में एक उच्च शिक्षित अतिथिविद्वान द्वारा आर्थिक विपन्नता के कारण आत्महत्या कर लेना कहीं न कहीं सरकार की विश्वसनीयता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है।
शाहजहांनी पार्क में दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि
आज राजधानी भोपाल का शाहजहांनी पार्क एक दुखद घटना का गवाह बना जहां पर अतिथिविद्वानों ने अपने दिवंगत साथी स्व. संजय कुमार को सभा आयोजित करके श्रद्धांजलि अर्पित की। उलेखनीय है कि संजय कुमार के परिजन बलिया उत्तरप्रदेश से दिवंगत अतिथि विद्वान संजय कुमार का अस्थिकलश लेकर भोपाल पहुँचे थे। अतिथि विद्वान नियमितिकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि इस प्रकार की दुखद घटना प्रदेश सरकार की साख पर बट्टा है। उच्च शिक्षित होते हुए भी आर्थिक विपन्नता के कारण एक विद्वान का इस प्रकार आत्महत्या करना यह इंगित करता है कि कहीं न कहीं कुछ गलत हो रहा है। कांग्रेस सरकार द्वारा वचनपत्र में नियमितीकरण का वादा करके भी वादा पूरा न करने से पूरे प्रदेश के अतिथि विद्वान बेहद तनावग्रस्त हैं। इसी की प्रतिक्रिया स्वरूप ऐसी दुखद घटनाएं सामने आ रही है।
नियमितीकरण हेतु सरकार की निष्क्रियता के कारण सामने आ रही है ऐसी घटनाएं
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मेसिया प्रभाड़ी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार इस प्रकार की घटना त्वरित नही है बल्कि ये आग उस दिन से जलना प्रारम्भ हो गई थी जबसे प्रदेश सरकार ने अतिथिविद्वानों को फालेन आउट करके बेरोजगार कर दिया था। 8 माह तक जानबूझकर वेतन रोककर तथा अतिथिविद्वानों को आर्थिक रूप से पंगु बनाकर सरकार ने आग में पेट्रोल डालने का कार्य किया है। सरकार को अविलंब अतिथिविद्वान नियमितीकरण के संबंध में निर्णय लेकर इस तरह की दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकना होगा।