भोपाल। नियमितीकरण के लिए धरने पर बैठे अतिथि विद्वानों के प्रदर्शन का आज 70 वाक्य था। कमलनाथ सरकार की नीतियों से हताश होकर आत्महत्या करने वाले अतिथि विद्वान संजय कुमार की पत्नी लालसा देवी आज दूसरे दिन भी धरने पर बैठी रही। उनके साथ संजय कुमार का अस्थि कलश भी है।
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा है कि वर्तमान सरकार के अंतर्गत अतिथि विद्वानों के लिए हालात बदतर हो गए हैं। हम इतनी बुरी हालत में पहले कभी नही थे। कमलनाथ सरकार से हमने नियमितीकरण के माध्यम से अपना भविष्य संवारने की उम्मीद लगाए रखी थी, किन्तु हालात इतने बुरे हो जाएंगे, इसकी आशा नही थी। संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार दिवंगत अतिथिविद्वान स्व. संजय कुमार की मृत्यु नही हुई बल्कि आर्थिक विपन्नता ने उनकी हत्या की है। और ये आर्थिक विपन्नता को प्रदेश के लगभग 5000 अतिथिविद्वान वर्षों से झेलते आये हैं।
दिवंगत अतिथिविद्वान की पत्नी बैठी धरनें में
अतिथि विद्वान नियमितिकरण संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली के अनुसार दिवंगत अतिथि विद्वान की धर्मपत्नी श्रीमती लालसा देवी अपने दो छोटे बच्चों एवं अन्य परिजनों के साथ अपने पति का अस्थिकलश लेकर रविवार को भोपाल पहुचें हैं। अस्थिकलश को शाहजहांनी पार्क में अतिथिविद्वानों के पंडाल में रखा गया है। दिवंगत अतिथिविद्वान की पत्नी लालसा देवी ने मीडिया में बयान दिया है कि जब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि उनसे आकर नही मिलता है, वे धरने से नही उठेंगी। अब देखना यह है कि सरकार अब भी अपने सत्ता के घमंड में आमजन की समस्याओं से ऐसी ही दूरी बनाकर रखती है अथवा ऐसी हदयविदारक घटना से सत्ता में बैठे मठाधीशों का पत्थरदिल पिघलता है?
70 दिनों से लगातार जारी है आंदोलन
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार भोपाल के शाहजहांनी पार्क में चल रहा अतिथिविद्वानों का धरना आंदोलन लगातार 70 वें दिन जारी रहा। विदित हो कि प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में अध्यापन करने वाले अतिथिविद्वान कांग्रेस सरकार से पार्टी के वचनपत्र अनुसार नियमितीकरण करने की मांग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है की हालिया घटित घटना उमरिया जिले के चंदिया महाविद्यालय की है। मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अतिथिविद्वानों को इस हद तक प्रताड़ित किया जा रहा है कि वे आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। यदि इस तरह का शोषण और अपमान बंद नही हुआ तो भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति भी हो सकती है