भोपाल। सूबे के सरकारी कॉलेजों में विगत दो दशकों से अध्यापन कार्य कर रहे अतिथिविद्वान पिछले 82 दिनों से राजधानी भोपाल के शाहजहांनी पार्क में अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर धरना एवं आंदोलन कर रहे हैं। अतिथिविद्वानों का आरोप है कि सरकार ने विधानसभा चुनावों के पूर्व अतिथिविद्वानों से कांग्रेस के वचनपत्र की कंडिका 17.22 में नियमितीकरण का वादा किया था। किन्तु सरकार के गठन हुए सवा साल का महत्वपूर्ण समय व्यतीत हो चुका है किंतु कांग्रेस सरकार की ओर से अब तक इस संबंध में कोई भी प्रभावशाली कदम नही उठाये गए हैं।
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने उच्च शिक्षा विभाग एवं सरकार द्वारा लगातार भ्रामक बयानों पर चर्चा करते हुए बताया कि कांग्रेस पार्टी एवं उसके तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी एवं पीसीएस चीफ कमलनाथ ने अतिथिविद्वानों को नियमितीकरण का वचन दिया था। यही हमारी एकमात्र मांग भी है। किंतु हालिया दिनों में मंत्री जीतू पटवारी जी एवं सरकार की ओर से इस प्रकार के बयान आ रहे हैं कि कोई भी अतिथिविद्वान सेवा से बाहर नही होगा। अर्थात चॉइस फिलिंग से फालेन आउट अतिथिविद्वानों को पुनः अतिथिविद्वान व्यवस्था में लिया जाएगा। तात्पर्य यह कि अतिथिविद्वान बनाने को ही सरकार उनका नियमितीकरण मान कर चल रही है। मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार हम सरकार से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार हमें पुनः अतिथिविद्वान बनाना चाहती है। यह हमारी मांग नही है।
उल्लेखनीय है कि अतिथिविद्वान विगत 82 दिनों से राजधानी भोपाल के शाहजहांनी पार्क में वचनपत्र अनुसार नियमितीकरण की मांग को लेकर धरने में बैठे हैं। अतिथिविद्वानों का आरोप है कि जब भी मीडिया या विपक्षी पार्टियां अतिथिविद्वान नियमितीकरण के संबंध में सरकार से प्रश्न करती हैं, मंत्री जीतू पटवारी नियमितीकरण के नाम पर जानबूझकर चॉइस फिलिंग की चर्चा करके पूरे मामले को भ्रमित कर देते हैं। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय ने कहा है कि कमलनाथ सरकार अतिथिविद्वान नियमितीकरण को चॉइस फिलिंग के नाम पर भ्रमित न करे। चॉइस फिलिंग एवं नियमितीकरण दोनो अलग अलग विषय हैं। अतिथिविद्वानों ने कभी चॉइस फिलिंग का समर्थंन नही किया, क्योंकि चॉइस फिलिंग अतिथविद्वानों को पुनः उस जानलेवा व शोषणकारी अतिथि विद्वान व्यवस्था की भट्टी में झोंकने का सरकारी षड्यंत्र है, जिस भट्टी में अतिथिविद्वान पिछले दो दशकों से जल रहे है। जिसने उनका वर्तमान और भविष्य सब जला डाला है।
सारी समस्याओं की जड़ है शोषणकारी अतिथिविद्वान व्यवस्था
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली की माने तो अतिथिविद्वानों की सारी समस्याओं की जड़ यही अतिथिविद्वान व्यवस्था ही है। इसके मूल में यदि देखा जाए तो सन 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कम पैसों में सरकारी कॉलेजों में खाली पड़े पदों में अतिथिविद्वानों की नियुक्ति करके उनसे अध्यापन करवा कर सरकार का पैसा बचाने का फार्मूला निकाला था। सरकार का तो काम निकल गया लेकिन प्रदेश के उच्च शिक्षित बेटे व बेटियों का भविष्य इस शोषणकारी व्यवस्था की भेंट चढ़ गया, जो पीएचडी, नेट तथा सेट जैसी उच्च शैक्षणिक योग्यता हासिल करके सहायक प्राध्यापक बनने के ख्वाब देख रहे थे।
उल्लेखनीय है कि इस व्यवस्था में अतिथिविद्वानों को चिकित्सकीय अवकाश, आकस्मिक अवकाश, कर्तव्य अवकाश, शैक्षणिक गतिविधि के लिए मिलने वाली सुविधा, मातृत्व अवकाश जैसी सुविधाओ से भी महरूम रखा गया। यहां तक कि छह-छह माह बाद मानदेय देने की व्यवस्था की गई। जिससे आर्थिक रूप से अतिथिविद्वान टूट गए। इसी शोषणकारी अतिथिविद्वान व्यवस्था को समाप्त करने एवं इसके स्थान पर अपने नियमितीकरण की मांग करते हुए अतिथिविद्वान विगत 82 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। जिसका वादा स्वयं कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी वचनपत्र में किया था। अब यह जनता जनार्दन ही तय करे कि बदहाल हो चुके अतिथिविद्वानों की मांगें जायज़ है या कांग्रेस सरकार की नियमितीकरण के लिए जानबूझकर की जा रही हीलाहवाली एवं अनावश्यक हठधर्मिता दोषी है ??