भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर की हवा एक बार फिर जहरीली दिखाई दे रही है। अचानक हुई जांच में भोपाल की हवा में जहरीले कणों की मात्रा अत्यधिक पाई गई। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। फेफड़ों के मरीजों के लिए जानलेवा है। जिनके फेफड़े कमजोर है उन्हें बीमारियां होंगी। भोपाल के कोलार और लालघाटी एरिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण पाया गया।
सोमवार को जनता की लैब की ओर से राजधानी के 13 हाई ट्रैफिक मोबेलिटी वाले इलाकों की रैंडम एयर क्वालिटी की सैंपलिंग की गई। शाम के वक्त 3.45 बजे से 6.20 बजे के बीच की गई इस सैंपलिंग में सभी जगह की हवा प्रदूषित पाई गई। किसी भी स्थान पर वायु गुणवत्ता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्धारित मानकों की स्वीकार्य अधिकतम मात्रा से कम नहीं थी।
जनता की लैब के संचालक डॉ. सुभाष पांडेय के मुताबिक, राजधानी में सभी 13 स्थानों पर सैंपलिंग के बाद पीएम-2.5 का औसत स्तर 138 एमजीसीएम पाया गया, जो पर्मिसिबल लिमिट 50 एमजीसीएम से लगभग ढाई गुना अधिक था। वहीं, पीएम-10 का औसत स्तर 246 एमजीसीएम मिला, यह भी अपनी पर्मिसिबल लिमिट 100 एमजीसीएम से ढाई गुना अधिक रिकॉर्ड किया।
टीटी नगर स्थित एक्यूआईएमएस पर उठाए सवाल
पांडेय ने टीटी नगर स्थित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से स्थापित कंटीनुअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएएक्यूएमएस) पर भी सवाल उठाए हैं। यहां ऑनलाइन डिस्प्ले बोर्ड पर दिखाए जा रहे प्रदूषण के आंकड़े लाइव होने के बजाए 24 घंटे का औसत निकालकर दिखाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, सीएएक्यूएमएस को सीएसपी ऑफिस की छत पर लगाया गया है, जो जमीन से 40 फीट ऊंचाई पर है। जबकि इंसान धरती से 10 फीट की ऊंचाई के बीच मौजूद हवा में श्वसन करते हैं। इस कारण यह सिस्टम उस हवा की गुणवत्ता सही से नहीं माप सकता, जो आम आदमी के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।