भोपाल। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने के लिए प्रावधान बनाने और दस्तावेजों में गलत जानकारी दर्ज करने का आरोप है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए हजारों पेड़ काटे गए और दस्तावेजों में स्टेडियम को जंगल बताकर ग्रीन बेल्ट के रूप में दर्ज कर लिया गया। टारगेट सिर्फ एक था। बिल्डर्स को कमाई के लिए ज्यादा से ज्यादा जमीन उपलब्ध कराना। यदि पेड़ लगाते हैं तो बिल्डर्स के लिए जमीन कम पड़ जाती है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर रोक लगाई
नेशनल ग्रीन ट्रिब्ल्यून (NGT) ने भोपाल स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart city project) को बड़ा झटका दिया है। उसने 17 मार्च तक यहां कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी है। NGT ने सिटी कॉर्पोरेशन, नगर निगम और टॉउन एंड कंट्री प्लानिंग को भोपाल के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के ग्रीन बेल्ट में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। केस की अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी। NGT के सीनियर वकील सचिव वर्मा के मुताबिक ग्रीन एंड ग्रीन लॉयर्स ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल जोनल बैंच भोपाल में पिटीशन दायर की थी।
स्मार्ट सिटी कारपोरेशन ने स्टेडियम को कागजों में जंगल बता दिया
इसमें बताया गया था कि स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन ने नेशनल फॉरेस्ट पॉलिसी के नियमों के तहत ओपन स्पेस और ग्रीन बेल्ट एरिया को डेवलप नहीं किया है। स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन ने टीटी नगर स्टेडियम और दशहरा मैदान को ग्रीन बेल्ट बता दिया है। उसने अपनी रिपोर्ट में इन दोनों जगहों पर पेड़ लगा होना बताया, जो गलत था। स्टेडियम और दशहरा मैदान होने के कारण यहां न तो पेड़ लगे हैं और न ही यहां लगाए जा सकते हैं।
बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने के लिए विशेष प्रावधान बनाए
NGT का कहना है सिर्फ बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने के लिए प्रोजेक्ट में इस तरह के प्रावधान रखे गए हैं। आज हुई सुनवाई में भोपाल स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन, नगर निगम और टीएनसीपी को नोटिस जारी किए गए हैं। एनजीटी ने ग्रीन बेल्ट में यथा स्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। अभी वहां पर कोई कंस्ट्रक्शन नहीं होगा। वर्मा ने बताया कि अभी पूरे प्रोजेक्ट पर संशय है। ग्रीन बेल्ट के बारे में जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी, तब तक वहां कंस्ट्रक्शन करना एनजीटी के निर्देश की अवहेलना होगी।
हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं, ग्रीन बेल्ट के लिए कोई प्लान नहीं
टीएनसीपी के मापदंड के अनुसार दस प्रतिशत एरिया ग्रीन होना चाहिए लेकिन स्मार्ट सिटी के निर्माण को लेकर जिस तरह से हजारों की संख्या में पेड़ काटे गए, उसके हिसाब से डेवलपमेंट के बाद छह से आठ प्रतिशत एरिया ही ग्रीन रह जाएगा। आरोप है कि 342 एकड़ में स्मार्ट सिटी डेवलप करने से पहले न तो कोई सर्वे किया गया और न ही ग्रीन बेल्ट को लेकर कोई प्लान तैयार किया गया। कागजों में स्टेडियम और दशहरा मैदान को हराभरा बताकर एक तरह से धोख़ाधड़ी की गयी।