इंदौर। माफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए गठित की गई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने दलित नेता एवं बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष सुरेश यादव को भू माफिया बताते हुए गिरफ्तार किया था। सुरेश यादव की जेल में मौत हो गई। सुरेश यादव के बेटे का कहना है कि गिरफ्तारी के समय उनकी तबीयत बहुत खराब थी, फिर भी एसटीएफ ने उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं किया बल्कि जेल में बंद कर दिया। नितिन यादव का कहना है कि ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनके पिता ने एसटीएफ को ₹2000000 नहीं दिए थे।
एसटीएफ ने BSP नेता सुरेश यादव को भू-माफिया बताकर गिरफ्तार किया था
प्रदेश में ऑपरेशन क्लीन के तहत भू-माफियाओं पर लगातार नकेल कसी जा रही है। एसटीफ ने पिछले दिनों गड़बड़ी पुल के पास स्थित जमीन की धोखाधड़ी को लेकर दर्ज केस में सुरेश पिता छोटेलाल यादव को गिरफ्तार किया था। इसके बाद यादव को सेंट्रल जेल भेज दिया गया था। शनिवार सुबह अचानक तबीयत खराब होने के बाद एमवाय अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
STF ने ₹20 लाख मांगे थे, नहीं दिए तो गिरफ्तार कर लिया: सुरेश यादव का बेटा नितिन यादव
बेटे नितिन यादव का आरोप है कि एसटीएफ के अधिकारियों ने बीमार होने के बाद भी पिता को जमीन की धोखाधड़ी के केस में साजिश के तहत फंसाया। पिता के खिलाफ केस नहीं बनाने के एवज में उन्होंने 20 लाख रुपए की मांग की थी। नहीं देने पर उन्होंने उन्हें बिना किसी सबूत के पकड़ा। एसटीएफ ने कहा था कि इनके पास से चेक, जमीन के कागज मिले हैं। तहसीलदार से मिलीभगत कर कागजों की हेराफेरी भी की है, लेकिन अब उनके पास कोई सबूत नहीं हैं।
बसपा नेता सुरेश यादव गंभीर रूप से बीमार थे फिर भी जेल में बंद कर दिया: आरोप
नितिन यादव ने बताया कि जिस समय पिता सुरेश यादव को पकड़ा गया, उनकी हड्डी में दिक्कत थी, पैर में भी चोट थी। एमवाय में मेडिकल के दौरान डॉक्टरों ने शुगर लेवल बढ़ने पर एडमिट करने को कहा था। लेकिन डॉक्टरों की बात पर ध्यान दिए बिना वे पिता को लेकर चले गए और रातभर यहां-वहां घुमाते रहे। अगले दिन जेल भेज दिया। जेल से भी जांच के लिए लेकर आए, लेकिन भर्ती नहीं किया।
बसपा जिलाध्यक्ष सुरेश यादव पर एसटीएफ ने यह आरोप लगाए थे
7 फरवरी को एसटीएफ ने सुरेश यादव व निरंजन उर्फ नीरू पिता भंवरलाल प्रजापत निवासी छत्रपति नगर को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ ने बताया था कि इन लोगों ने सबसे पहले कंस्ट्रक्शन कारोबारी सुरेश कुकरेजा और उसके बेटे जयेश कुकरेजा और जमीन की कब्जादार रहीं अवंतीबाई और शकुंतलाबाई को जमीन बेची थी। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि पूरे फर्जीवाड़े में मुख्य सूत्रधार आरोपी सुरेश यादव है। यह बसपा का जिला अध्यक्ष भी थे। इन्होंने देवनारायण अवंती बाई और शकुंतला बाई के साथ वर्ष 2016 में एक आम मुख्त्यारनामा बनाया था। इसमें शासकीय कार्य करने के बाद उक्त जमीन का एक और मुख्त्यारनामा बनाकर सुरेश कुकरेजा एवं अन्य को 76 लाख रुपए में बेच दिया। सुरेश कुकरेजा को 15 लाख में जमीन की एक फर्जी ऋण पुस्तिका भी बना दी थी। इसी के आधार पर देवनारायण और उसकी बहनों का सुरेश कुकरेजा और जयेश कुकरेजा से अनुबंध हुआ था, जिसमें सुरेश यादव भी शामिल हुआ और चरनोई की भूमि पर प्लॉट काटकर कॉलोनी बनाने का बोलकर लोगों से रुपए ले लिए थे। इस केस में फर्जी ऋण पुस्तिका बनाने में निरंजन प्रजापत ने अहम भूमिका निभाई थी।