भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का प्रबंधन ने एक बार फिर सवालों की जद में है। मामला पीएचडी कोर्स में एडमिशन का है। कुल 41 खाली सीटों के लिए केवल 40 कैंडिडेट को इंटरव्यू हेतु बुलाया था परंतु एडमिशन 19 को ही दिया। बाकी सारे स्टूडेंट्स वेटिंग लिस्ट में डाल दिए गए। स्टूडेंट्स सवाल कर रहे हैं और यूनिवर्सिटी प्रशासन मनमानी। मामला राज्यपाल तक पहुंच गया है।
2019 की आरएसी के लिए विवाद हुआ था, जांच रिपोर्ट का अब तक पता नहीं
उम्मीदवारों का कहना है कि पीएचडी 2019 के लिए आयोजित आरएसी के परिणामों में हुई गड़बड़ी को लेकर विवाद हुआ। इसे विवि ने यह आश्वासन देकर शांत करा दिया कि जांच कराई जा रही है, लेकिन जांच रिपोर्ट का अभी तक कुछ पता नहीं है। अब उनका आरोप कि एक छात्र ने विवि में पानी की टंकी पर चढ़कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद रजिस्ट्रार डॉ. बी. भारती ने एक अधिसूचना जारी कर सिर्फ इसी विषय में खाली सीट होने पर गुणानुक्रम सूची के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को सूचीबद्ध करने को कहा है। उम्मीदवारों ने बताया कि 20 जनवरी से काेर्स वर्क शुरू हो गया है। अधिकतर विषयों में सीटें खाली हैं, जिन पर एडमिशन नहीं दिया गया। मामले में बीयू रजिस्ट्रार डॉ. बी.भारती का कहना है कि प्रो. केबी पंडा की अध्यक्षता में बनी कमेटी द्वारा जांच की गई है। कमेटी ने जो अनुशंसाएं की हैं, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
मामला राजभवन तक पहुंचा
पीएचडी में एडमिशन प्रक्रिया को लेकर शुरुआत से ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं।आरएसी की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। समाजशास्त्र की एक महिला उम्मीदवार एकता साहू ने राजभवन में शिकायत भेजी है। उनका आरोप है कि 21 अगस्त 2019 को पीएचडी प्रवेश परीक्षा हुई। इसमें समाजशास्त्र विषय से परीक्षा उत्तीर्ण की और आरएसी के समक्ष साक्षात्कार भी दिया। सीट खाली होने के बाद भी केवल 19 लोगों को ही सीटें आवंटित की गईं, जबकि 40 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। करीब 41 सीटें खाली हैं। इसके बाद भी विवि प्रशासन द्वारा कोई संतोषजनक जानकारी नहीं दी जा रही है।