नई दिल्ली। जनवरी के महीने में जबकि सारा देश नागरिकता संशोधन कानून और उसके साथ आ रहे नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस के वाद-विवाद में उलझा हुआ था तभी चुपके से महंगाई ने छलांग लगा दी। जनवरी 2020 में महंगाई की दर 7.59 प्रतिशत हो गई जबकि दिसंबर में 7.35 प्रतिशत थी। डेली नीड में खाने पीने की चीजों पर सबसे ज्यादा दाम बढ़े हैं।
पिछले साल चुनाव से पहले महंगाई दर 1.97 थी, अब 7.59 है
खाने-पीने की चीजों के कीमत बढ़ने की वजह से महंगाई दर पिछले 6 साल में सबसे ज्यादा हो गई है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित खुदरा महंगाई दर दिसंबर 2019 में 7.35 फीसदी थी। जबकि इसके मुकाबले पिछले साल जनवरी में महंगाई दर सिर्फ 1.97 फीसदी थी। जनवरी 2020 में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमत में 13.63 फीसद की वृद्धि हुई है। इसके मुकाबले जनवरी 2019 में यह सिर्फ (-) 2.24 फीसदी थी। हालांकि दिसंबर 2019 में खाने-पीने की चीजों की महंगाई 14.19 फीसदी थी।
उत्पादन में बड़ी गिरावट
बुधवार को दिसंबर 2019 के लिए इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन यानी IIP के आंकड़े भी जारी किए गए। IIP की वृद्धि दिसंबर 2019 में -0.3 फीसदी रही है। एक साल पहले इसी महीने में IIP में वृद्धि 2.5 फीसदी थी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के कमजोर प्रदर्शन की वजह से IIP में कमजोरी आई है। दिसंबर 2018 में IIP में वृद्धि 2.5 फीसदी थी। CSO आंकड़े जारी करते हुए कहा कि मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट 1.2 फीसदी घटा है।
आरबीआई के अनुसार खुदरा महंगाई दर 4-6% तक होना चाहिए
खुदरा महंगाई दर बढ़ने की वजह से रेपो रेट में कटौती की संभावना काफी कम है। खुदरा महंगाई दर आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य की ऊपरी सीमा को भी पार कर चुकी है। आरबीआई की सीमा के अनुसार खुदरा महंगाई दर 4-6% तक होना चाहिए। लेकिन अब खुदरा महंगाई दर बढ़ने से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद काफी कम है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफे की वजह से खुदरा महंगाई की दर में उछाल आया है. यह लगातार चौथा महीना है जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के मध्यावधि लक्ष्य 4 फीसदी से ऊपर रही है।