भोपाल। व्यापम घोटाला से संबंधित मेडिकल छात्रा नम्रता डामोर की मौत का रहस्य अब हमेशा रहस्य ही रह जाएगा। यह वही मामला है जिसकी जांच करने आए दिल्ली के टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की संदिग्ध मौत हो गई थी। पुलिस नम्रता की मौत को हादसा बता रही थी जबकि पहली पीएम रिपोर्ट में इसे हत्या बताया गया था। सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी है। सीबीआई ने नम्रता की मौत को आत्महत्या बताया है।
सीबीआई ने 2017 में भी क्लोजर रिपोर्ट फाइल की थी
सीबीआई ने नम्रता की मौत को सुसाइड बताते हुए 30 दिसंबर 2017 को क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी। नम्रता के पिता मेहताब सिंह ने सीबीआई जांच पर सवाल उठाते हुए कोर्ट को बताया था कि उन्हें आशंका है कि बेटी की हत्या के बाद उसकी लाश रेलवे ट्रैक किनारे फेंकी गई थी। रेलवे के गेटमैन ने उन्हें यह बात बताई थी। सीबीआई ने उस गेटमैन से बयान तक नहीं लिए। इस आधार पर कोर्ट ने सीबीआई से इस मामले में दोबारा जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कुछ ऐसे लोगों के बयान दर्ज किए हैं जो दावा करते हैं कि घटना के समय वह नम्रता डामोर के साथ बोगी में सवार थे।
सीबीआई ने नम्रता डामोर मामले में हत्या की FIR दर्ज की थी
जुलाई 2015 में टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की संदिग्ध मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं महाघोटाले व इससे जुड़ी संदिग्ध मौतों की जांच सीबीआई को देने के आदेश दिए थे। सीबीआई ने 23 संदिग्ध मौतों पर प्राथमिकी दर्ज की थी। नम्रता की मौत के मामले में हत्या का केस दर्ज किया था। 7 जनवरी 2012 को नम्रता का शव उज्जैन के पास रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला था। नम्रता की मौत के अलावा अन्य 23 संदिग्ध मौतों में सीबीआई पहले ही क्लोजर रिपोर्ट पेश कर चुकी है। उन मौतों में भी सीबीआई को कहीं कुछ संदिग्ध नहीं मिला था।
हत्या और आत्महत्या में क्यों उलझा केस :
नम्रता के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की टीम ने हत्या की बात कही थी, लेकिन मेडिको लीगल एक्सपर्ट की रिपोर्ट में इसे सुसाइड बताया गया। मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में कई बार फाइल ओपन की और फिर क्लोज कर दी। लगातार यह संदेह व्यक्त किया जा रहा था कि नम्रता डामोर की मौत के पीछे व्यापम माफिया का हाथ है। वह ऐसा व्यक्ति है जो अब तक जांच की जद में नहीं आया है। उम्मीद थी कि सीबीआई जांच में सारी बातों का खुलासा होगा।