भोपाल। पिछले दिनों केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में उन सभी कर्मचारियों को सेंट्रल सिविल सर्विसेज पेंशन रूल्स 1972 के तहत पेंशन देने का फैसला लिया है जिनकी नियुक्ति 01 जनवरी 2004 से पूर्व हुई थी ।
मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि प्रदेश में लाखों शिक्षक/कर्मचारी इस दायरे में आ रहे हैं । शिक्षा विभाग में शिक्षक संवर्ग को डांइग केडर घोषित कर 1995 से शिक्षाकर्मी के रूप में नाम मात्र के मानदेय पांच सौ रुपये प्रति माह पर प्रथम बार तीन वर्ष अनुभव के आधार पर, 1998 में दोबारा, 2007 में तीसरी बार अध्यापक संवर्ग नाम देकर चौथी बार जुलाई 2018 में नवीन शिक्षक संवर्ग प्राथमिक/माध्यमिक/उच्च माध्यमिक शिक्षक नाम से नियुक्ति दी गई है । एक ही कर्मचारी की चार बार एक ही विभाग में उसी पद पर नाम बदलकर अल्प मानदेय व कम वेतन पर नियुक्ति देने वाला देश में मप्र पहला प्रदेश है । "मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ" मांग करता है कि शिक्षा सहित सभी विभागों के कर्मचारियों को केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के आदेश के दायरे में लाकर नेशनल पेंशन स्कीम के बजाय सर्विस पेंशन (ओपीएस) में शामिल किया जावे ।
केंद्रीय आदेशानुसार 01 जनवरी 2004 से पूर्व नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण हो गई थी लेकिन प्रशासनिक/न्यायालयीन कारणों के चलते नोकरी बाद में शुरू की थी ऐसे सभी कर्मचारी 31 मई 2020 तक एनपीएस के स्थान पर सर्विस पेंशन (ओपीएस) का हीस्सा बन सकते हैं । इस आदेश के दायरे में 1995 से 31 दिसम्बर 2003 के मध्य नियुक्त शिक्षक/कर्मचारियों को शामिल किया जाना न्यायसंगत होगा ।