ग्वालियर। प्रशासनिक व्यवस्था में किसी भी कर्मचारी का सस्पेंशन सजा नहीं होती। यह एक व्यवस्था होती है। किसी भी कर्मचारी को इसलिए सस्पेंड किया जाता है ताकि वह कर्मचारी पद का दुरुपयोग करते हुए जांच को प्रभावित ना कर पाए परंतु मध्यप्रदेश में निलंबन को सजा के तौर पर देखा जाता है। ग्वालियर में कलेक्टर ने निलंबित कर्मचारियों की झांकी लगा दी है। सभी सस्पेंड कर्मचारियों को एक हॉल में बिठाया जा रहा है। हॉल की दीवार पर लिखा है " निलंबित कर्मचारियों के बैठने का स्थान।"
कलेक्टर अनुराग चौधरी ने कलेक्ट्रेट कार्यालय अधीक्षक वाले हॉल में सस्पेंड कर्मचारियों के लिए बैठने की व्यवस्था बनवाई है। यहां दीवार पर लिख भी दिया गया है कि 'निलंबित कर्मचारियों के लिए बैठने का स्थान'। मंगलवार को इस कक्ष में पेंटर के माध्यम से लिखवा दिया गया। कलेक्टर कार्यालय के कर्मचारियों का कहना है कि यह व्यवस्था इसलिए की गई कि कलेक्टर द्वारा सस्पेंड किए जाने वाले विभिन्न विभागों के कर्मचारी सस्पेंड होने के बाद गायब रहते थे और कुछ लोग हाजिरी भी लगाकर चले जाते थे। इसलिए नई व्यवस्था की गई है। सभी सस्पेंड कर्मचारियों को कार्यालय के पूरे समय तक यहां बैठे रहना होगा।
वहीं कलेक्ट्रेट में बुजुर्गों के लिए वेटिंग रूम की व्यवस्था भी शुरू कराई जा रही है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट की जनसुनवाई में कलेक्टर ने यह निर्देश दिए।
कलेक्ट्रेट में बुजुर्गों के लिए वेटिंग रूम
कलेक्ट्रेट के जनसुनवाई कक्ष में आयोजित जनसुनवाई में कलेक्टर अनुराग चौधरी ने विभिन्न समस्याओं की सुनवाई की और रेडक्रॉस के माध्यम से पांच जरूरतमंदों को 32 हजार रूपए की सहायता राशि प्रदाय करते हुए कई जरूरतमंदों को खाद्यान्न भी उपलब्ध कराया। जनसुनवाई में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी शिवम वर्मा, अपर कलेक्टर टी एन सिंह, अपर कलेक्टर अनूप कुमार सिंह, अपर कलेक्टर रिंकेश वैश्य सहित जिला अधिकारीगण आदि उपस्थित थे। कलेक्टर ने बताया कि जनसुनवाई में आने वाले बुजुर्ग आवेदकों के लिए कलेक्ट्रेट के एक कक्ष को वेटिंग रूम के रूप में विकसित किया जाएगा। इस वेटिंग रूम में बुजुर्ग आवेदकों को चाय, पानी एवं नाश्ते की भी व्यवस्था की जाएगी।