भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में तीसरी संतान की जानकारी देने के आदेश के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। स्थिति यह है, कि अभी तक कर्मचारियों ने जानकारी नहीं दी है। अब विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी किया गया एक आदेश मुसीबत बन गया है। डेढ़ माह से अधिकारी और कर्मचारी इस जानकारी को देने से बच रहे हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति शिक्षा विभाग में बनीं हुई है। मामला मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंच गया है। पिछले दिनों छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने इस मामले में रास्ता निकालने का वचन भी दिया है।
अब अधिकारियों को नोटिस जारी करने का सिलसिला शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि तीन संतानों वाले कर्मचारियों की सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग में है। इसके अलावा अन्य विभागों में भी यह स्थिति गंभीर है। पिछले डेढ़ माह से शिक्षा विभाग सहित अन्य विभागों के अधिकारी और कर्मचारी तीन संतानें होने की जानकारी छिपा रहे हैं। बार-बार नोटिस जारी होने के बाद भी कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि उनकी कितनी संतानें हैं।
विधानसभा से मांगी गई है जानकारी
सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से 10 जनवरी 2020 को आदेश जारी हुआ था। आदेश के माध्यम से विधानसभा में जानकारी मांगी है कि जनवरी 2001 के बाद तीन संतान वाले कितने कर्मचारी हैं। जिसकी जानकारी सभी विभागों से मांगी गई है। इसमें कुछ विभाग लेटलतीफी कर रहे हैं तो कुछ ने जानकारी भेज दी है। सरकारी कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों की तीसरी जीवित संतान की जानकारी विभाग प्रमुखों द्वारा आधार कार्ड, समग्र आईडी और अन्य दस्तावेजों के आधार पर एकत्रित की जा रही है। ऐसे कर्मचारी जिनकी एक संतान थी और 26 जनवरी 2001 के बाद एक ही समय पर 2 या अधिक संतान का जन्मी हैं तो उसे नौकरी के लिए अयोग्य नहीं माना जाएगा।
मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की संतान के संदर्भ में यह नियम है
दो से अधिक संतान के संबंध में मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल के परिपत्र 10 मई 2000 द्वारा मप्र सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 6 के उपनियम-4 के उपनियम के तहत तीसरी संतान का जन्म 26 जनवरी 2001 या उसके बाद हुआ है। इस संबंध में स्पष्ट आदेश है कि कोई भी उम्मीदवार जिसकी दो से अधिक जीवित संतान हैं, जिनमें से एक का जन्म 26 जनवरी 2001 को या उसके बाद हो वह किसी सेवा या पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा।