भोपाल। श्री विकास जोशी जिला शिक्षा अधिकारी-ग्वालियर ने फजीहत होने के बाद डीएम के हवाले से दिनांक 22/02/2020 को जारी विवादित आदेश जिसमें 25 फरवरी तक पालन करते हुए "निलंबित शिक्षकों को पृथक से निर्धारित स्थान पर बैठाकर फोटो वाट्सप करने के निर्देश सभी बीईओ को दिये थे"; वापस लेकर सफाई दी हैं कि प्रभारी अधिकारी ने आदेश जारी किया था इसकी जांच कर रिपोर्ट भेजी जाएगी।
मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा है कि आदेश वापस लेकर संबंधित अधिकारी ने प्रकरण का पटाक्षेप तो कर दिया लेकिन कतिपय अधिकारीयों की कार्य प्रणाली पर अंगुली उठाना स्वाभाविक है जो अधीनस्थ कर्मचारियों को तुच्छ मानकर जलिल व अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते । विडम्बना है कि ऐसे प्रकरणों की पुनरावृत्ति शिक्षा विभाग में ज्यादा होती हैं । प्रतिभा पर्व के लिए पटवारी, पंचायत सचिवों को आब्जर्वर्स नियुक्त करना, एमडीएम में शिक्षकों का निलंबन, शीतकालीन अवकाश 23 से 28 दिसम्बर में छतरपुर डीएम श्री मोहित बूंदस द्वारा 10:30 स 12:30 तक विशेष कक्षाओं का संचालन, छतरपुर डीईओ श्री संतोष शर्मा द्वारा 12/12/2019 को शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति तो कभी शिक्षकों की मदिरालय, दुल्हनों को सजाने संवारने जैसे अनेकों आदेश पदीय गरिमा के खिलाफ जारी किये गये इनमें से कुछ वापस लिये गये है।
सभी शासकीय सेवक चाहे (कर्मचारी/अधिकारी) सिविल सेवा आचरण नियमों के अधीन कर्तव्यारूढ़ है, इन पर कदाचरण पाये जाने पर तय अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान निहित है। सिविल सेवा आचरण नियमों से आगे बढ़कर अधिकारियों द्वारा अति की जाती है, जो पदीय गरिमा के खिलाफ होकर मानवधिकारों का अलंग्घन होकर असंवैधानिक है। लोकतंत्र में कतिपय अधिकारियों को प्राप्त अधिकारों के दुरूपयोग का कुत्सित प्रयास नियमों के विपरीत अतिवादी, ही कहा जाएगा। ऐसे आदेशों को वापस लेना ही पड़ता हैं जो स्वयं के साथ शासन प्रशासन की भी फजीहत कराता हैं, इससे बाज आना चाहिए।