ग्वालियर। शहर विकास और सडक़ चौड़ीकरण को लेकर किलागेट से कोटेश्वर तक भवनों और दुकानों पर तुड़ाई के निशान लगने के साथ ही इस क्षेत्र में रहने वाले रहवासी और वर्षों से व्यवसाय कर रहे व्यवसाई लामबंद होने लगे हैं और अब सभी ने मूड बना लिया है कि जब तक प्रशासन द्वारा प्लान को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा और सभी को समझाया नहीं जाएगा तब तक तुड़ाई नहीं करने दी जाएगी भले ही हम लोगों को बुलडोजर के आगे लेटना पड़े।
जो गलती 2011 में की थी उसे दोहराया नहीं जाएगा
व्यवसाईयों और रहवासियों ने मन बना लिया है कि जो गलती 2011 में की थी उसे दोहराया नहीं जाएगा और पहले पुराना हिसाब चुकता करो और जिसका जिसका नुकसान पूर्व में हुआ है उसका मुआवजा दिलाओ सके बाद ही आगे की तुड़ाई का कार्य करने दिया जाएगा।
किलागेट से लेकर कोटेश्वर तक प्रशासन द्वारा तुड़ाई के लिए निशान लगाए
उल्लेखनीय है कि पांच दिन पहले किलागेट से लेकर कोटेश्वर तक प्रशासन द्वारा तुड़ाई के लिए निशान लगाए थे और निशान लगने के साथ ही व्यवसाईयों और रहवासियों की नींद उड़ गई और व्यवसाय छोडक़र इस उधेड़बुन में जुट गए कि आखिर इस तुड़ाई को कैसे रोका जाए। कहते हैं कि दूध का जला छाज भी फूंक-फूंक कर पीता है ठीक यही बात घासमंडी क्षेत्र में रह रहे लोगों और व्यवसाईयों पर चरितार्थ हो रही है। यहां के लोगों ने एक सुर में एक ही बात कही कि अगर तुड़ाई होती है तो सबसे पहले किलागेट से तुड़ाई का कार्य शुरू किया जाए।
2011 में घासमंडी क्षेत्र को बर्बाद कर दिया गया था
क्योंकि 2011 में जब तुड़ाई शुरू हुई थी तो उस समय घासमंडी क्षेत्र को बर्बाद कर दिया गया और बाबा कपूर तक ताबड़तोड़ तुड़ाई हुई लेकिन बाबा कपूर के आगे तुड़ाई नहीं हुई जबकि सबसे अधिक जाम व अतिक्रमण इसी क्षेत्र में है। व्यवसाईयों ने तो यहां तक कह दिया कि जिस प्रकार से घासमंडी क्षेत्र के लोगों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि किलागेट क्षेत्र के व्यवसाईयों का प्रशासन से कुछ गुप्त समझौता हो गया इसी कारण 2011 में प्रशासन इस क्षेत्र के व्यवसाईयों और रहवासियों पर मेहरबान हो गया और बिना तुड़ाई के उन्हें अभयदान दे दिया।
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर से पब्लिक नाराज
यहां यह बताना भी जरूरी है कि शिवरात्रि वाले दिन क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर अपने लाव-लश्कर के साथ क्षेत्र के भ्रमण पर निकले थे और उस समय व्यवसाईयों व रहवासियों ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि होने के नाते मंत्री के समक्ष अपनी पीड़ा रखी थी लेकिन मंत्री ने भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जिससे इस क्षेत्र के लोगों में भारी रोष व्याप्त है।
लाल निशान लगाकर लोगों को डराया क्यों जा रहा है
व्यवसाईयों ने तो यहां तक कह डाला कि अगर तुड़ाई ही करनी थी तो 2011 में ही पूरा कार्य कर लिया जाता उस समय मोहलत क्यों दी। अगर 2011 में ही तुड़ाई का कार्य पूरा हो जाता तो अब तक यहां के रहवासी और व्यवसाई व्यवस्थित हो जाते हैं। कुल मिलाकर बार-बार लाल निशान लगाकर लोगों को भयभीत करने और उन्हें परेशान करने का प्लान कितना कारगर सिद्ध होगा और क्या तुड़ाई व्यवस्थित तरीके से हो पाएगी यह तो अभी आने वाला समय बताएगा लेकिन जिस प्रकार से इस बार व्यवसाई और रहवासी लामबंद हुए हैं उससे प्रशासन को इस क्षेत्र में तुड़ाई करने में काफी मशकत करनी पड़ेगी।
2011 में 5 फीट की राहत दी गई थी
2011 में तत्कालीन कलेटर आकाश त्रिपाठी के कार्यकाल के दौरान इस क्षेत्र में ताबड़तोड़ तुडाई की गई थी और जब स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो चालीस फीट से पैंतीस फीट कर पांच फीट की राहत दी गई थी। उस समय श्री त्रिपाठी ने क्षेत्र की जांच-पड़ताल के लिए एक बीएलओ की नियुक्ति की थी और बीएलओ द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी कि सभी भवन दुकानें वैध है यहां किसी प्रकार अतिक्रमण नहीं है। बाबजूद इसके बार-बार परेशान किया जा रहा है।
विकास करो पर मुआवजा चाहिए
यहां रह रहे सभी रहवासियों और व्यवसाईयों का एक ही मत विकास करो विकास से हम लोगों को परेशानी नहीं पर इस विकास के कारण हम लोग बेरोजगार होंगे और हमारे परिवार सडक़ पर आ जाएंगे।इस स्थिति में पहले हमारा मुआवजा तय किया जाए और मुआवजा दिलाया जाए साथ ही हमारे विस्थापन की व्यवस्था की जाए इसके बाद तुड़ाई की जाए।