हिंदी सिनेमा की इंद्रधनुषी दुनिया को हिंदुस्तान की कला, संस्कृति, संस्कारों और साहित्य का प्रतिबिंब माना जाता है। फिल्म जगत की हस्तियों ने एक बार ये मानस बनाया कि भारत के गौरवशाली इतिहास और सुनहरे भविष्य को हर हाल में विश्वभर में रेखांकित किया जाना चाहिए, ताकि भारत की साख को दुनिया में स्थापित किया जा सके और ये महती जिम्मेदारी आईफा को सौंपी गई।
नई सदी 2000 में अवार्ड की बुनियाद यूनाइटेड किंगडम के लंदन शहर में रखी गई। आयोजन इतना सफल रहा कि पूरे ब्रिटेन ने एक स्वर में भारत को कहा ‘हम दिल दे चुके सनम’ और यही वह पहली फिल्म भी थी जिसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला।
लंदन आइफा सफलता की अनुगूँज से कई देशों ने आइफा आयोजन के लिए अपनी अभिरुचि जाहिर की। दूसरा अवार्ड फंक्शन अफ्रीका के सनसिटी में आयोजित किया गया। फिर मलेशिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, दुबई, थाईलैंड, मकाऊ, श्रीलंका, यूएस, स्पेन, थाईलैंड, अर्थात् देश दर देश भारत की ख्याति विश्वभर में फैलती गई।
आइफा का सामाजिक सरोकार
ब्रिटेन के याॅर्कशायर में रह रहे साउथ एशियन समुदाय के सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों के दृष्टिगत ब्रिटेन की सरकार ने पुनः आइफा को आमंत्रित किया और 2007 में याॅर्कशायर के शेफील्ड में 3 दिन चले आइफा के उत्साहवर्धक आयोजन ने हमेशा के लिए वहाँ के नागरिकों में समरसता का भाव पैदा किया। इतना ही नहीं इस आयोजन से समूचे विश्व में याॅर्कशायर की पहचान और साख स्थापित हुई और वह ब्रिटेन का टूरिज्म का बड़ा केंद्र बनकर उभरा। इस आयोजन के बाद आज तक भी याॅर्कशायर में भारतीय सिनेमा, उत्सवों और संस्कृति को उत्साहपूर्वक आत्मसात किया जाता है।
निवेश की असीम संभावनाओं का आयोजन-आइफा
सिंगापुर में आइफा का आयोजन किया गया। इस आयोजन से पूरा सिंगापुर अभिभूत हुआ। साथ ही सिंगापुर ने आभास किया कि इस आयोजन के दौरान उनके यहाँ आर्थिक गतिविधि बढ़ गई है। तब उन्होंने तय किया कि इस आयोजन को लेकर वे एक विधिवत अध्ययन कराएंगे। इस अध्ययन के परिणामों ने सिंगापुर को चैंका दिया। उन्होंने पाया कि शाॅर्ट टर्म में तो बाजारों में इस दौरान काफी खरीददारी हुई। होटलों ने बहुत अच्छा व्यवसाय किया। पर्यटक बड़ी संख्या में आए और 30 प्रतिशत पर्यटन के क्षेत्र में इजाफा हुआ। साथ ही लंबे समय के लिए भी सिंगापुर में बड़ा निवेश आया। इस अध्ययन के बाद सिंगापुर ने आइफा से आयोजन के लिए पुनः अनुरोध किया और इसी प्रकार अफ्रीका सहित कई देशों ने बार-बार आइफा के आयोजन की दरकार की।
IIFA से मध्यप्रदेश को क्या फायदा होगा
प्रदेशवासियो, यूँ तो हमारे प्रदेश के इतिहासकारों, साहित्कारों, कलमकारों, कलाकारों का लोहा पूरे विश्व ने माना है, मगर फिर भी हमारा प्रदेश अपनी साख स्थापित करने के लिए जूझ रहा है। मैं चाहता हूँ कि अब पूरे विश्व में मध्यप्रदेश की पहचान अच्छे संदर्भों में स्थापित हो। इसीलिए मैंने आइफा को आमंत्रित किया। मैं हृदय से आभारी हूँ कि कई देशों और राज्यों के निमंत्रण के बावजूद आईफा ने हमारा आतिथ्य स्वीकार किया, क्योंकि आइफा सिर्फ सरकारों के साथ ही अपने आयोजन को आकार देता है, चाहे वो देशों की हो या राज्यों की।
कहते हैं न कि पूत के पाँव पालने में दिख जाते हैं। जैसे ही मध्यप्रदेश में आइफा के आयोजन की तारीखों का ऐलान हुआ, इंदौर की ज्यादातर होटलें बुक हो गईं। बाजार ने अपने व्यवसाय की तैयारियाँ प्रारंभ कर दी। प्रदेश के पर्यटन स्थलों में रौनक बढ़ गई। इवेंट मैनेजमेंट के छात्र भी आयोजन के लिए आतुर हैं। आइफा प्रतिभागी छात्रों को सर्टीफिकेट भी देगा।
अर्थात मध्यप्रदेश की पहचान के साथ हम निवेश आकर्षित करने की भी तैयारी कर रहे हैं। इतिहास साक्षी है आइफा जहां भी गया है, वहां उसने कला और संस्कृति के साथ समृद्धि के द्वार भी खोले हैं। आईए, हम भी दिल खोलकर आइफा का स्वागत करें।
याद रखिये, बाॅलिवुड में काम करने वाले 30 से 35 प्रतिशत लोग चाहे वे लेखक हों, अभिनेता-अभिनेत्री हों, डाॅयरेक्टर-प्रोड्यूसर हों या कैमरा मेन, अपने मध्यप्रदेश से ही हैं। तब हमारा दायित्व ओर भी बन जाता है कि हम अपने अतिथि सत्कार में कोई कसर न छोड़ें।
अंततः मैं अपने मध्यप्रदेश की गौरवशाली विरासत से आश्वस्त हूं, अब जब हम इस गौरवमयी आयोजन की ओर अग्रसर हो रहे हैं, तब पक्ष, प्रतिपक्ष और समूचा प्रदेश मिलकर प्रदेश की प्रगति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करेंगे और प्रदेश की प्रतिष्ठा का मान रखेंगे।
मैं, इस आइफा अवार्ड आयोजन को प्रदेश के आदिवासी भाईयों और अंतिम पंक्ति में खडे़ हुए नागरिकों को समर्पित करता हूं। क्योंकि यह आयोजन इन्हीं की समृद्धि के द्वार सबसे पहले खोलेगा।
आइए सब मिलकर आयोजन को सफल बनाएँ।
आइफा प्रदेश की तरक्की का सोपान साबित होगा।
(कमलनाथ) मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश