जबलपुर। भारतीय सेना की सबसे ताकतवर तोपें धनुष और सारंग आज जबलपुर में गरज रहीं हैं। उनके धमाकों से इलाका थर्रा रहा है। हजारों लोग व्याकुल हैं इन तोपों का नतीजा जानने के लिए लेकिन वरिष्ठ अधिकारी भी काफी उत्सुक हैं। दरअसल, दोनों तोपों का परीक्षण किया जा रहा है। यह भारत की सेना का सबसे ताकतवर हथियार है।
भारतीय सेना की सबसे ताकतवर तोप धनुष व सारंग 155 एमएम का परीक्षण कहां किया गया
जबलपुर की लोंग प्रूफ रेंज याने LPR खमरिया में सेना की धनुष तोप और सारंग गन का परीक्षण किया जा रहा है। ये भारतीय सेना की अब तक की सबसे ताकतवर 155 एमएम तोप हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर सेना के स्टाफ के साथ DG क्वालिटी एश्योरेंस लेफ्टिनेंट जनरल संजय चौहान भी मौजूद हैं।
धनुष और सारंग तोप की मारक क्षमता कितनी है
ये पहला मौका है जब यहां एक साथ बैरल और गन का परीक्षण किया जा रहा है। धनुष तोप की मारक क्षमता 40 और सारंग तोप की मारक क्षमता 39 किलोमीटर है। धनुष तोप का जबलपुर में ही उत्पादन और परीक्षण होने के कारण सालाना 100 करोड़ से अधिक रुपए की बचत होने का अनुमान है। इससे पहले 21 जनवरी को सारंग गन का एक बार सफल परीक्षण किया जा चुका है। भारतीय सेना को अब तक 6 धनुष तोप, 8 सारंग गन सौंपी जा चुकी हैं।
भारत की धनुष तोप कितनी ताकतवर है
धनुष तोप बोफोर्स से भी ज़्यादा ताकतवर है। इसकी मारक क्षमता 38 किमी है। जबकि बोफोर्स तोप की मारक क्षमता सिर्फ 32 किमी है। धनुष तोपों को बोफोर्स का स्वदेशी संस्करण कहा जाता है। ये तोपें जबलपुर की गन कैरेज फैक्ट्री में तैयार की गयी हैं। GCF को कुल 114 तोपों का ऑर्डर मिला है। 155 एमएम इनडीजीनियस आर्टिलरी गन याने बार्फोस के स्वदेशी वर्जन धनुष तोप ने सभी परीक्षण पास कर लिए थे। 2011 से शुरू हुआ धुनष का काम 2014 में पूरा हो गया था और लगातार 4 साल से इसका परीक्षण जारी था।
पहली खेप अप्रैल में सेना को सौंपी गयी
जबलपुर की गन कैरेज फैक्ट्री में तैयार आधुनिक और स्वदेशी तोप धनुष की पहली खेप अप्रैल में सेना को सौंपी जा चुकी है। जबलपुर में हुई फ्लैग ऑफ सेरेमनी में ये तोपें भारत सरकार के रक्षा उत्पादन सचिव- डॉ अजय कुमार की मौजूदगी में सेना को दी गयी थीं। समारोह में डायरेक्टर जनरल QA, डायरेक्टर जनरल आर्टिलरी, डायरेक्टर जनरल आर्डिनेंस फैक्टरी भी मौजूद थे।