1) प्रदेश के 6.5 लाख NPS के दायरे में आ रहे कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों को सेवानिवृत्ति उपरांत भविष्य की आर्थिक चिंताओ और अपमानजनक जीवन से मुक्ति और सेवाकाल के दौरान कर्मचारी की असामयिक मृत्यु होने पर परिवार के सदस्यो को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर।जिससे निर्णय लेने वाली सरकार को लाभ यह होगा कि इन कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्यों की आजीवन सहानुभूति उस दल विशेष को प्राप्त होते रहेगी।सरकारी नौकरियो के प्रति योग्यतम प्रतिभाओ का आकर्षण बना रहेगा और सरकार पर आर्थिक भार भी वर्तमान में बिल्कुल नही आयेगा क्योंकि ईक्का-दूक्का प्रकरणों को छोड़कर पेंशन भुगतान की स्थिति 10-15 वर्षो बाद ही आयेगी।
2) 6.5 लाख कर्मचारी NPS के दायरे में आ रहे है जिसके लिए सरकार को कर्मचारी के वेतन का 10% अंशदान NSDL खाते में जमा करना जरूरी होता है जिसके कारण सरकार कंगाली की स्थिति में आ चुकी है समय पर जमा न करने के कारण कर्मचारियो की विश्वसनीयता भी खो रही है और कर्मचारियो को सीधा आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रही है।प्रत्येक कर्मचारी का सरकारी अंशदान 2000 से 15000 तक हो सकता है अगर इसे हम औसत प्रति कर्मचारी सरकारी अंशदान 3000 भी माने तो करोडो रूपये की बचत प्रतिमाह कर सकती है। उस राशि से कई लोक कल्याणकारी योजना या स्थाई पेंशन फंड का निर्माण सरकार कर सकती है।
3) कर्मचारियो के NSDL खाते में कुल जमा राशि जिसमें कर्मचारी का अंश और सरकारी अंश बराबर ब्याज सहित मिलाकर प्रत्येक कर्मचारी की औसत जमापूंजी यदि 3 लाख भी मान लिया जाए तो NSDL खाते में कुल राशि वर्तमान में 650000×300000=? हुई।सरकार प्रत्येक कर्मचारी की जमापूंजी से NSDL सें अपना अंश वापस ले ले तो सरकार की वित्तीय स्थिति में वैसे ही सुधार हो जाएगा और NSDL से कर्मचारी के अंश को भी वापस लेकर उसे जीपीएफ खाते के रूप में जमा कर दे तो उस राशि को भी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति तक सरकार को खर्च करने का अधिकार मिल जाएगा।
4) कर्मचारी की जमापूंजी को शेयर बाजार के हवाले कर उनके सेवानिवृत भविष्य से जो खतरनाक खिलवाड कर रही है सरकार इस कलंक से सरकार को मुक्ति तो मिल ही जाएगी और पुंजीपतियों के हाथो की कठपुतलियां बन चुकी है सरकार के आरोप से भी मुक्ति मिल जाएगी साथ भविष्य के आशंकित NSDL के महाघोटाले से भी मुक्ति मिल जाएगी।
यह आंकडे केवल उदाहरण स्वरूप मध्यप्रदेश के NPS के दायरे में आने वाले कर्मचारियो के संदर्भ में है।
यह तो एक सरकार के निर्णय के रूप में उदाहरण मात्र है ऐसे कई निर्णय लेकर सरकार अपनी आर्थिक स्थिति और जनसाधारण, कर्मचारियों की स्थिति को मजबूती प्रदान कर सकती है लेकिन सवाल वही है कि सरकार में अच्छी सोच और जनकल्याण की भावना वाले लोग होने चाहिए?
लेखक- रमेश पाटिल, प्रांतीय कार्यकारी संयोजक, अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश एवं प्रांतीय कोर कमेटी सदस्य पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय अभियान,मध्यप्रदेश