भोपाल। छिंदवाड़ा सांसद बनने से पहले कमलनाथ की कहानी में कई रहस्य हैं। अब तक कहा जाता था कि देहरादून के दून स्कूल में पढ़ते हुए कमलनाथ की दोस्ती संजय गांधी से हुई और इसी के चलते कमलनाथ राजनीति में आए परंतु आज कमलनाथ ने बताया है कि राजनीति में आने का कारण संजय गांधी नहीं बल्कि पानी था।
भोपाल में राष्ट्रीय जल सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कमलनाथ ने बताया कि मैं पानी के कारण ही राजनीति में आया हूं। मेरा राजनीतिक जीवन भी पानी से जुड़ा है। उन्होंने किस्सा सुनाया कि मेरा राजनीति में आने का ना तो कोई विचार था। ना ही कोई सोच थी। एक दिन मैं रात में सौंसर से पांढुर्ना जा रहा था। हमने देखा कि लोग रात में 10 बजे पीपे लेकर लंबी कतारों में लगे हैं। इनमें महिला-पुरुष और बच्चे सब शामिल थे। वो लोग मीलों दूर से चलकर यहां आए थे और 3 घंटे से पानी के लिए लाइन में लगे थे। जब हमने उनसे पूछा तो लोगों ने बताया कि गांव में पानी नहीं है। पानी की कमी के कारण उनके बेटों की शादी नहीं हो पा रही है। दूसरे गांवों के लोग अपनी बेटियां हमारे बेटों को नहीं देते। बस उसी दिन मैंने सोच लिया कि मैं चुनाव के मैदान में उतरूंगा। 1979 में राजनीति के मैदान में आने का विचार किया। मैं सिर्फ और सिर्फ पानी के कारण ही राजनीति में आया।
क्या लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले भी कमलनाथ छिंदवाड़ा में थे
कमलनाथ की कहानी कई सवालों को जन्म देती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले भी कमलनाथ का छिंदवाड़ा से कोई रिश्ता था। राजनीति के गलियारों में कमलनाथ की जो कहानी सुनाई जाती है उसके अनुसार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने बेटे संजय गांधी के दोस्त कमलनाथ को छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भेजा, इससे पहले कमलनाथ छिंदवाड़ा क्या मध्यप्रदेश भी नहीं आए थे। छिंदवाड़ा के लिए कमलनाथ एक बाहरी प्रत्याशी थे परंतु इंदिरा गांधी के कारण छिंदवाड़ा के कांग्रेस नेताओं ने कमलनाथ का भरपूर समर्थन किया और चुनाव जताया। कमलनाथ को टिकट फाइनल करने से पहले इंदिरा गांधी ने छिंदवाड़ा के नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक दिल्ली में बुलाई थी। इसी मीटिंग में कमलनाथ के नाम का पहली बार जिक्र किया गया था।