इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मजदूर नेता मुन्नालाल साहनी के खिलाफ की गई जिला बदर की कार्यवाही को रद्द कर दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने सरकार पर ₹10000 की कॉस्ट भी लगाई है। हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जो जिस जिले के कलेक्टर/एसपी मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में नाकाम है वह मजदूरों पर जिला बदर की कार्यवाही कर रहे हैं।
घटना 2018 की है। धार जिले के पीथमपुर स्थित प्रतिभा सिंटेक्स (pratibha Syntex company) के मजदूर अपनी मांगों को लेकर मिल के बाहर प्रदर्शन (protest) कर रहे थे। मजदूरों की यूनियन के लीडर मुन्नालाल साहनी के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया। फिर उन्हें जिलाबदर करने का प्रस्ताव भेज दिया। कलेक्टर ने भी मुन्नालाल को जिलाबदर घोषित कर दिया।
इस कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में उल्लेख किया गया कि सैकड़ों मजदूरों के हक के लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया जा रहा था। वहां किसी तरह की हिंसा नहीं हो रही थी। इसके बावजूद पुलिस ने FIR तो की ही, जिलाबदर के लिए भी लिख दिया। सरकार ने अपने जवाब में कहा कि पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई बिलकुल सही है। मजदूरों को गुमराह किया जा रहा था। हाई कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद जिलाबदर की कार्रवाई को गलत ठहराया और सरकार पर काॅस्ट भी लगाई।