भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर अपने ही समर्थकों के हाथों हारते नजर आ रहे हैं। कमलनाथ के दो टूक बयान के बाद मध्यप्रदेश में अब गिनती शुरू हो गई है कि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया कोई कदम (जिसकी संभावना शून्य के आसपास है) उठाते हैं तो उनके साथ कितने समर्थक दिखाई देंगे। यहां बात सिंधिया की कृपा से बने मंत्रियों और विधायकों की हो रही है।
मंत्री इमरती देवी की आस्था डगमगाई
विधायक इमरती देवी जब मंत्री बनी थी तब उन्होंने एक बयान दिया था ' मैं रोज सुबह शाम महाराज की पूजा करती हूं।' बीच में 1-2 अवसर और आए जब कुछ मंत्री और विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति अपनी निष्ठा सार्वजनिक रूप से प्रकट की। एक मंत्री ने तो प्रेस के सामने गर्व के साथ खुद को ' सिंधिया का चमचा' कहा था लेकिन अब बात बदलती नजर आ रही है। ज्यादातर सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री मीडिया के सामने आने से कतरा रहे हैं। महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी से जबलपुर में जब मीडिया ने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया कि कमलनाथ ने ऐसा कोई बयान भी दिया है। दमोह में भी वह मीडिया के सामने बयान देने से बचती नजर आई। एक बार तो उन्होंने मीडिया के माइक को ही झटक दिया। थोड़ा बहुत जो कुछ बोला उसका अर्थ सिर्फ इतना निकाला जा सकता है कि इमरती देवी किसी भी तरह मामले को शांत होते देखना चाहती हैं। उनके लिए कमलनाथ का बयान सिंधिया की प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है।
सबसे बड़ा सवाल सिंधिया के साथ कितने
मध्यप्रदेश में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कितने समर्थक बचे हैं। यदि वह सड़क पर उतरते हैं तो उनके साथ कितने विधायक और मंत्री होंगे। बात बहुत स्पष्ट है, सड़क पर उतरने का अर्थ है कांग्रेस से इस्तीफा देना। यदि ऐसा हुआ तो कमलनाथ सरकार गिर जाएगी और मध्यप्रदेश में फिर से विधानसभा चुनाव होंगे लेकिन सारे कयासों और संभावनाओं के आकलन से पहले हर कोई सिर्फ एक ही सवाल का जवाब तलाश रहा है। कमलनाथ के बयान के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कितने।