भोपाल। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तो बन गए परंतु ना तो सरकार संभाल पा रहे हैं और ना ही संगठन। मध्य प्रदेश में नई सरकार के गठन को मात्र 1 साल ही हुआ है। प्रदेश भर में उल्लास, उत्सव और आशाओं का सूरज दिखाई देना चाहिए था परंतु श्यामला हिल्स से लेकर बल्लभ भवन तक घना कोहरा नजर आ रहा है। पिछले दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ी ही मुखर था के साथ सरकार को आगाह करने की कोशिश की थी लेकिन मध्य प्रदेश की सरकार और कांग्रेस पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया अकेले नहीं है। कमलनाथ से नाराज विधायकों की लिस्ट भी लंबी है।
मुरैना के विधायक ऐडल सिंह कंषाना कैबिनेट मंत्री पद के योग्य होने के बावजूद मंत्री नहीं बनाए गए क्योंकि उन्हें गुटबाजी के आरक्षण में फंसा दिया गया था। सोमवार को मुरैना जिले के विधायक एदल सिंह कंषाना ने अपनी इस पीड़ा को सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया था। कंषाना ने कहा था कि वे दुखी हैं कि उनसे जूनियर विधायकों को मंत्री बना दिया गया और इसके बाद आज तक उन्हें मंत्री बनाए जाने का अवसर नहीं दिया गया।
गुना जिले की चाचौड़ा जैसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतने वाले लक्ष्मण सिंह भी कम सीनियर नहीं है। लक्ष्मण सिंह पांच बार सांसद और तीन बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। बावजूद इसके उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया और कारण वही, गुटबाजी का आरक्षण। योग्यता और अनुभव की कोई वैल्यू नहीं।
विधायक केपी सिंह कांग्रेस के ना केवल सीनियर विधायक हैं बल्कि उन्होंने पिछोर विधानसभा को भाजपा से छीनकर कांग्रेस की पक्की सीट बना दिया है। केपी सिंह का प्रभाव आसपास की कई सीटों पर पड़ता है। उनके पास लंबा अनुभव है। विधानसभा के 6 चुनाव केपी सिंह भी जीत चुके हैं। फिर भी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। वह अपनी नाराजगी व्यक्त करते हैं परंतु दिग्विजय सिंह के नजदीकी हैं इसलिए बहुत कम शब्दों में और इशारों में बात करते हैं।
बिसाहूलाल सिंह: मंत्री नहीं बनाया इसलिए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार हैं
अनूपपुर जिले से पांच बार विधायक बनने वाले बिसाहूलाल सिंह को भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। बिसाहूलाल खुद को मंत्री पद की दौड़ से बाहर कर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का दावा कर चुके हैं। उनके दावे को हल्के में नहीं लिया जा सकता। उनकी नाराजगी साफ नजर आती है। एक बार वह मुख्यमंत्री कमलनाथ को तनाव देने वाला काम कर भी चुके हैं।
विधायक संजय यादव ने कहा: हमें कब तक बच्चा समझा जाएगा
विधायक संजय यादव ने कांग्रेस पार्टी के महासचिव एवं मध्यप्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया के सामने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की दावेदारी जताई और बोले, हमें कब तक बच्चा समझा जाएगा। हम भी प्रदेश कांग्रेस की कमान संभाल सकते हैं। जबलपुर जिले के बरगी विधानसभा क्षेत्र से विधायक संजय यादव ने प्रदेश प्रभारी बाबरिया से मुलाकात कर अपनी दावेदारी पेश की। यादव ने कहा है कि वे 25 साल से संगठन का काम कर रहे हैं। उन्हें कब तक बच्चा समझा जाएगा। जब भाजपा में वीडी शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है तो कांग्रेस में सड़क पर लड़ाई लड़ने वाले युवा नेताओं को क्यों मौका नहीं दिया जा सकता। जब वीडी शर्मा जबलपुर में एबीवीपी की राजनीति करते थे तो वे नगर युवा कांग्रेस अध्यक्ष व पार्षद थे और शर्मा के खिलाफ उन्होंने राजनीतिक आंदोलन किए थे।