भोपाल। मप्र सरकार द्वारा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग में परीक्षा परिणाम व नसबंदी के लिए लक्ष्य पूर्ति को लेकर "नो वर्क नो पे, अनिवार्य सेवानिवृत्ति, वेतन वृद्धि रोकना" जैसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश जारी करने से कर्मचारियों/अधिकारियों में सरकार के खिलाफ गहरी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग में तो आदेश वापस लेते हुए आला अधिकारी का तत्काल तबादला भी कर दिया लेकिन शिक्षा विभाग में ऐसा नहीं किया गया।
मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा है कि "लक्ष्य पूर्ति" में दौहरा व्यवहार अस्वीकार है। स्वास्थ्य विभाग में नसबंदी लक्ष्य पूर्ति को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश वापस लिया गया जो स्वागत योग्य हैं लेकिन शिक्षा विभाग में कम परीक्षा परिणाम पर 712 प्राचार्यो की वेतन वृद्धि रोकने जैसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश जारी किये गये जो सरकार का दौहरा व्यवहार उजागर करता है। शिक्षा विभाग में लगातार 80% परीक्षा परिणाम को लेकर विभागीय आला अधिकारियों द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश जारी किये जा रहे हैं जिससे तनावपूर्ण वातावरण निर्मित हो रहा हैं व विभाग में भारी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं।
"मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ" प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ जी से मांग करता है कि शिक्षा विभाग में भी स्वास्थ्य विभाग के समान अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश वापस लेते हुए सभी विभागों में एक कार्य संस्कृति विकसित कर एक समान कर्मचारियों को लक्ष्य पूर्ति के लिए हतोत्साहित करने के बजाय प्रोत्साहित करते हुए जमीनी स्तर पर आने वाली परेशानियों को चिन्हित कर इनका समाधान कर अनुकूल वातावरण निर्मित किया जावे, साथ ही आला अधिकारियों के कार्य की भी समीक्षा होना चाहिए।
क्या कारण है कि अनुशासनात्मक कार्रवाई के दम पर ही लक्ष्य पूर्ति करवाने का दबाव बनाकर सरकार की छवि खराब करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। इससे शासन-प्रशासन में सौहार्दपूर्ण वातावरण निर्मित होकर लक्ष्य पूर्ति आसान होगी व सरकार के प्रति कर्मचारियों अधिकारियों एवं आम जनता का इकबाल कायम हो सकेगा। जिससे सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय परिलक्षित हो सके।