भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार लगातार लोन लेते चली जा रही है। हालात यह हो गए हैं कि मध्यप्रदेश के सरकारी खजाने पर कर्जा दो लाख करोड़ से ज्यादा हो चुका है। नतीजा, जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ाया जा रहा है। नगरीय निकाय स्वच्छता के नाम पर पहले से ही एक नया टैक्स लेने लगे हैं, अब प्रॉपर्टी टैक्स भी बढ़ाया जा रहा है।
कलेक्टर गाइडलाइन से लिंक करेंगे प्रॉपर्टी टैक्स
सरकार को दुकानदार और जनता को ग्राहक समझने वाले नौकरशाहों ने जनता की जेब काटने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है। नगरिया निकाय के प्रॉपर्टी टैक्स को कलेक्टर गाइडलाइन से लिंक किया जाएगा। कलेक्टर गाइडलाइन में प्रॉपर्टी के दाम हर साल बनाए जाते हैं। इसी के साथ प्रॉपर्टी टैक्स भी हर साल बढ़ता चला जाएगा। हर साल थोड़ा-थोड़ा टैक्स बढ़ेगा तो जनता को पता ही नहीं चलेगा कि कब उसके सर पर कितना बोझ लाद दिया गया है। यह बिल्कुल पेट्रोल और रसोई गैस के दामों जैसा हो जाएगा।
वर्तमान में क्या होता है
नजरिया निकायों ने अपने-अपने शहरों को कई भागो में विभाजित किया है। नगरिया निकाय के विशेषज्ञों ने आवासीय और व्यवसाय क्षेत्रों को अलग-अलग चिन्हित किया है। इन क्षेत्रों में वार्षिक भाड़ा मूल्य क्या आधार पर टैक्स की दरें निर्धारित की जाती है। प्रॉपर्टी टैक्स वार्षिक भाड़ा मूल्य का न्यूनतम 6% और अधिकतम 10% होता है।
कलेक्टर गाइडलाइन से लिंक होने के बाद क्या होगा
सभी परिक्षेत्रों को समाप्त कर सीधे गाइडलाइन का एक निश्चित प्रतिशत प्राॅपर्टी टैक्स लिया जाएगा। प्रतिशत का निर्धारण नगर निगम परिषद करेगी। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि 13 वें वित्त आयोग ने प्रापर्टी टैक्स तय करने के लिए निकायों को स्वतंत्र करने की बात कही है। इसके अलावा नगरपालिक निगम अधिनियम में प्रापर्टी टैक्स से जुड़े प्रावधानों में भी बदलाव करना होगा।
टैक्स थोपकर खजाना भरना चाहती है सरकार
प्रमुख सचिव, नगरीय आवास एवं विकास संजय दुबे बोले- निकायों की आय बढ़ाने के लिए प्राॅपर्टी टैक्स में बदलाव किया जा रहा है। प्राॅपर्टी टैक्स बोर्ड के माध्यम से मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाएगा। हमारी कोशिश है कि यह अगले वित्त वर्ष से लागू हो जाए।