जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डायरेक्टर जनरल ऑफ होमगार्ड के उस आदेश को स्थगित कर दिया है जिसमें लिखा गया था कि होमगार्ड सैनिकों को साल के 12 महीनों में से 2 महीने अनिवार्य अवकाश दिया जाएगा। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकलपीठ ने स्थगन आदेश जारी किया एवं सचिव होमगार्ड, डीजे होमगार्ड सहित सभी संबंधित नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जवाब के लिए 6 सप्ताह का वक्त तय किया गया है।
विदिशा व रायसेन सहित अन्य स्थानों पर पदस्थ होमगार्ड सैनिक रामसिंह यादव, कृष्ण कुमार व रामदयाल और जितेन्द्र सिंह यादव सहित 69 लोगों की तरफ से याचिका लगाई गई। इसमें कहा गया है कि डीजी होमगार्ड ने एक आदेश जारी कर साल में से दो माह की अनिवार्य छुट्टी दिये जाने का फरमान जारी किया है, इस दौरान उन्हें किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं मिलेगा। आवेदकों का कहना है कि पूर्व में हाईकोर्ट व सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में राहतकारी आदेश देते हुए उन्हें पुलिस आरक्षकों के समान वेतनमान व अन्य लाभ प्रदान किये जाने के आदेश दिए थे।
जिसके बाद सरकार की ओर से वर्ष 2016 में नये नियम संबंधी सर्कुलर भी जारी किया गया। इसके बावजूद उन्हें जबरन दो माह की छुट्टी दिया जाना अवैधानिक है, इस दो माह की अवधि में उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा, इतना ही नहीं आदेश में कहा गया कि उनकी नियुक्ति संविदा के तहत हुई है, जिस पर वह उक्त दो माह के अनिवार्य अवकाश पर कहीं और काम भी नहीं कर सकेंगे। इस आदेश को अनुचित बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। मामले में सचिव होमगार्ड विभाग, डीजी होमगार्ड भोपाल व जबलपुर सहित कमांडेंट सेंट्रल ट्रेनिंग मंगेली जबलपुर को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंजली बैनर्जी ने पक्ष रखा।