अंग्रेजी में कहावत है जो बच्चों को दोहराने के लिए दी जाती है ' I am born with potential, I am born with wings' मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की बेगमगंज तहसील में रहने वाली शिवानी कुशवाहा इस कहावत को 100% चरितार्थ करती है। उसके पिता माधो सिंह कुशवाहा गोलगप्पा बेचते हैं परंतु शिवानी को अपना पोटेंशियल पता था इसलिए उसने चैलेंज लिया और NET EXAM में 167th और रैंक हासिल करके साबित कर दिया कि देश-काल और परिस्थितियां सफलता के रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकते।
पिता ने संघर्ष किया ताकि बेटी को सफलता मिल सके
कहने को तो बेगमगंज एक शहर है परंतु इसे बड़ी ग्राम पंचायत से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए यहां कुछ खास नहीं है। समाज का कल्चर भी ऐसा नहीं है जो बच्चों को सफलता की ऊंची उड़ान भरने के लिए प्रोत्साहित करता हो। घर की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते शिवानी को पढ़ाई में कुछ दिक्कतें भी आईं, लेकिन पिता का सहयोग मिलता रहा। माली हालत खराब होने के बाद भी पिता ने बेटी को पढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत की। परीक्षा की तैयारियों के लिए पिता ने शिवानी को एक अच्छी कोचिंग भी उपलब्ध कराई। कोचिंग की फीस शिवानी के पिता की महीने भर की कुल कमाई से बहुत ज्यादा थी परंतु पिता ने अपनी जमा पूंजी लगा दी। थोड़ा कर्ज भी लेना पड़ा लेकिन कहते हैं ना क्या अंत भला तो सब भला।
शिवानी कुशवाहा ने गणित विषय की CSIR NET JRF Examination में ऑल इंडिया लेवल पर 167th और रैंक हासिल की है। अब शिवानी कुशवाहा के लिए वह सभी रास्ते खुल गए हैं जो उसे जिंदगी की किसी भी ऊंचाई तक ले जाने के लिए जरूरी है। पिता को संतोष है क्यों उनकी तपस्या सफल हो गई।