जबलपुर। मप्र में स्कूल शिक्षक भर्ती में 27 फीसदी ओबीसी और 10 फीसद ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ) के आरक्षण लागू करने को मप्र हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई 27 फरवरी को करने का निर्देश दिया।
राजस्थान के चित्तौढ़गण निवासी शांतिलाल जोशी द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि मप्र सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती के लिए व्यवसायिक परीक्षा मंडल के जरिए 28 अगस्त 2018 को विज्ञापन प्रकाशित किया। दिसंबर 2018 में भर्ती परीक्षा हुई। भर्ती प्रक्रिया के अंतिम चरण में चयनित अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी करने के लिए 10 जनवरी 2020 को निर्देशिका जारी की गई। अधिवक्ता ब्रम्होद पाठक ने तर्क दिया कि उक्त निर्देशिका में इस भर्ती में 27 फीसदी ओबीसी व 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देने का प्रावधान कर दिया गया।
जबकि राज्य सरकार ने 28 अगस्त 2018 के विज्ञापन के बाद 24 दिसंबर 2019 को बढ़ा हुआ ओबीसी आरक्षण लागू करने का नोटिफिकेशन किया। इस लिहाज से यह आरक्षण अवैध है। इसके चलते कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो जाएगा, जो सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने 27 फरवरी को मामले की फिर सुनवाई के निर्देश दिए।