कलेक्टर ने हाथ लहराया था, SI को थप्पड़ नहीं पड़ा, क्लीन चिट की तैयारी | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्य प्रदेश की सबसे चर्चित महिला कलेक्टर निधि निवेदिता के थप्पड़ कांड की जांच पूरी हो चुकी है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक उपेंद्र जैन ने अपनी रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एएसआई नरेश शर्मा को थप्पड़ नहीं पड़ा था । याद दिला देगी वायरल वीडियो में करैक्टर निधि निवेदिता थप्पड़ मारने की मुद्रा में हाथ ले जाती हुई दिखाई दी थी। कुल मिलाकर कलेक्टर निधि निवेदिता को क्लीन चिट देने की तैयारी हो चुकी है लेकिन अब वह ज्यादा दिनों तक राजगढ़ कलेक्टर नहीं रह पाएंगी।

कलेक्टर का अभद्र व्यवहार प्रमाणित लेकिन थप्पड़ के प्रमाण नहीं

जांच अधिकारियों ने राजगढ़ जाकर राजस्व और पुलिस के अधिकारियों से बंद कमरे में अलग-अलग बात की थी। इस दौरान कलेक्टर और पुलिस वैन के चालक के भी बयान लिए गए। कलेक्टर के ड्राइवर ने जहां घटना से साफ इनकार किया है। वहीं, एएसआई के ड्राइवर ने सिर्फ इतना कहा, साहब ने बताया कि मैडम ने झकझोरा है। मौके पर ड्यूटी कर रहे राजस्व और पुलिस के अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी घटना होने को लेकर साफ-साफ कुछ भी नहीं कहा।

राजगढ़ की शांति के लिए कलेक्टर/एसपी दोनों को बदल दिया जाए

जांच अधिकारियों ने यह जरूर महसूस किया है कि इस कथित घटनाक्रम से राजगढ़ में जिला और पुलिस प्रशासन के बीच दूरियां बन गई है, जो प्रशासनिक दृष्टिकोण से ठीक नहीं है। इस आधार पर यह माना जा रहा है कि कलेक्टर पर भले ही फिलहाल कोई कार्रवाई न हो पर कुछ समय बाद उन्हें जिले से हटाकर कहीं और पदस्थ किया जा सकता है। इसी तरह पुलिस अधीक्षक द्वारा कलेक्टर के खिलाफ एसडीओपी से जांच कराने के मामले को भी गंभीरता से लिया गया है। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट को मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने रखा जाएगा, वे ही इस मामले में अंतिम निर्णय लेंगे।

भाजपा की रैली के दौरान हुई थी थप्पड़बाजी

मालूम हो कि पिछले माह नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में भाजपा द्वारा राजगढ़ जिले के ब्यावरा में निकाली गई रैली के दौरान कलेक्टर ने एक भाजपा नेता को थप्पड़ मारा था। इसी दौरान कलेक्टर ने एएसआई नरेश शर्मा को भी कथित तौर पर थप्पड़ मारा था। इसकी पुलिस जांच में एएसआई की शिकायत सही पाई गई थी, जबकि जिला प्रशासन की रिपोर्ट में इसे खारिज कर दिया गया था। विरोधाभासी रिपोर्ट मिलने पर सीएम कमलनाथ ने उच्चाधिकारियों से जांच का आदेश दिया था।

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