मजार पर महाशिवरात्रि मनाई जाती है, मेला भरता है | tourist places in mp

Bhopal Samachar
भोपाल। भारत के वर्तमान हालात किसी से छुपे नहीं है। सीएए और एनआरसी के नाम पर पूरा समाज 2 भागों में बंटा हुआ साफ नजर आता है। धूर्त नेता अवसर का लाभ उठाते हुए धर्म के नाम पर वैमनस्यता के बीज रहे हैं। इस दौर में हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी मजार की कहानी जहां ​महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय की मजार में हिंदू धर्मावलंबियों का विशाल मेला आयोजित किया जाता है। 

जी हां! मध्यप्रदेश के सतना जिले में एक ऐसी भी मजार है जहां महाशिवरात्रि के पावन मौके पर हर साल मेला लगता है। महाशिवरात्रि पर यहां मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी तादाद में आस्था एवं उल्लास के साथ अपनी भागीदारी दर्ज कराते हैं, वहीं प्रत्येक वर्ष उर्स के दौरान हिंदू भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।

मान शहीद और भाई चांद शहीद की मजार कहां पर स्थित है

सतना जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर के फासले पर पूर्व में टमस एवं सतना नदी के संगम तट पर स्थित इस पाक स्थल पर वस्तुत: मान शहीद और उनके भाई चांद शहीद की मजार है। ग्राम पंचायत सरांय के कोढ़ा गांव की बारादरी में स्थित इस स्थल पर हर साल महा शिवरात्रि के मौके पर भव्य मेले की परम्परा लगभग डेढ़ हजार साल पुरानी है। दूर-दूर के लोग यहां मत्था टेकने पहुंचते हैं। यहां मेला तीन दिन लगातार चलता है। 

कौन हैं शहीद बाबा

मजार पर हिंदुओं के मेले को लेकर इलाके में तरह-तरह की किवदंतियां प्रचलित हैं। मगर इनमें से एक बहु प्रचारित जनश्रुति के अनुसार लगभग डेढ़ हजार साल पहले दुनिया में जब शैतानी फितरतों का बोलबाला था और धर्म धूल-धूसरित हो रहा था तब अरब देश के बगदाद शहर से घोड़े पर सवार होकर दो भाई बाबा मान शहीद और चांद शहीद धर्म प्रचार के लिए निकले। कहते हैं चांद शहीद का धड़ समेत शरीर जीवंत था। दोनों घोड़े पर सवार थे और एक रोज कोढ़ा गांव की उसी बारादरी पर पहुंचे जहां आज मजार है। आम धारणा के अनुसार इसी स्थल पर पान बेचने वाली एक बरइन की दुकान थी। सिर विहीन बाबा चांद शहीद ने जब बरइन से खाने के लिए पान मांगा तो उसने उनकी खिल्ली उड़ा दी। दोनों भाई उसी जगह पर धरती में समा गये। आज उसी जगह पर मजार है।

साल में दो बार मेला 

साल में दो बार महाशिवरात्रि और उर्स पर जहां इस मजार में भव्य मेला लगता है वहीं हफ्ते के प्रत्येक गुरुवार को रुहानी इलाज के लिए दूर-दूर से लोग इस मजार पर पहुंचते हैं। इसके लिए दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक वक्त मुकर्रर है। इस स्थल की देखभाल मुजावर मुहम्मद सलीम खान करते हैं। इसके पहले इनके पिता और इसके भी पहले बाबा काले खान भी इस दरबार की सेवा में थे। 

मन्नतों की गठान

बाबा मान शहीद की मजार के प्रवेश द्वार में बंधी सैकड़ों गठानें मजार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं द्वारा मन्नत पूरी करने के लिए बांधी जाती है। सैकड़ों धर्मावलंबी मन्नत मांगने मजार पहुंचते हैं और मन्नत पूरी होते ही बाबा मान शहीद के मुरीद हो जाते हैं।

विवाह का पहला आमंत्रण बाबा को

आसपास के गड़ौरी, सरांय, चकदही, गौहारी, कोढ़ा, नईबस्ती, भगदेवरा, मौहार, अमरहिया, बरहा, सिजहटा, गोलहटा, बेलहटा समेत आसपास के गांव के लोगों की मजार में इस कदर आस्था है कि वैवाहिक कार्यक्रम का पहला न्यौता बाबा को ही दिया जाता है। मजार में रखे कई निमंत्रण पत्र क्षेत्रवासियों की आस्था को प्रदर्शित करते हैं।

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