नई दिल्ली। अपने नागरिकों की सुरक्षा और रोजगार के लिए अमेरिका वह सब कुछ करता है जो भारत सहित दुनिया के कई देश नहीं कर पाते। आईटी कंपनियों में अमेरिका के इंजीनियर्स की डिमांड सबसे कम है, क्योंकि माना जाता है कि अमेरिकंस में पोटेंशियल नहीं है, जबकि भारतीय इंजीनियर के बारे में माना जाता है कि यह दुनिया के सबसे सस्ते और अच्छे इंजीनियर है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ ऐसे नियम बनाए कि अमेरिका में ऑफिस चलाने वाली भारतीय कंपनियों को भी अमेरिकी कर्मचारी की भर्ती करने पड़ रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में भारत की चार बड़ी आईटी फर्मों में बड़े पैमाने पर अमेरिकी काम कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय आईटी कंपनियों में एक लाख से ज्यादा अमेरिकी पेशेवर काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं, शीर्ष चार भारतीय आईटी फर्मों में ही 55,000 से अधिक अमेरिकी कर्मचारी हैं। यह संख्या कुछ साल पहले के मुकाबले काफी तेजी से बड़ी है। इन कंपनियों में कॉग्निजेंट भी शामिल है। इस कंपनी का मुख्यालय अमेरिका में है। इसमें अमेरिकी कर्मचारियों की संख्या 1 लाख से अधिक है।
किस भारतीय कंपनी में कितने अमेरिकी कर्मचारी
अमेरिकी कर्मचारियों के बारे में जारी अपनी रिपोर्ट में आईटी उद्योग के सबसे बड़े निकाय नैसकॉम ने यह आंकड़े जारी किये हैं। आंकड़ों के मुताबिक टीसीएस में 20,000, इंफोसिस 14,000, एचसीएल 13,400, और विप्रो 10,000 कर्मचारी अमेरिकी हैं। इन कंपनियों के कुल स्टॉफ का 70 फीसदी कर्मचारी अमेरिकी हैं। इन्फोसिस ने 2017 में 10,000 अमेरिकी पेशेवरों को नियुक्त करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई थी। कंपनी ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया है।
टीसीएस के एचआर हेड मिलिंद लक्कड़ ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि कंपनी इस साल अमेरिका और यूरोप के कालेजों से 1,500 फ्रेशर्स को काम पर रख रही है, जो हाल के दिनों में सबसे ज्यादा है। अनुसंधान फर्म आईएचएस मार्किट रिसर्च के अनुमान के अनुसार, भारतीय आईटी उद्योग के पास वित्त वर्ष 2018 में अमेरिका में 1.7 लाख कर्मचारी थे। यह 1.5 लाख से ज्यादा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के इंजीनियर को नौकरियां कैसे दिलाई
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नागरिकों को नौकरी दिलवाने के लिए एक ट्रिक का यूज किया। ट्रंप ने अपने वीजा नियमों में परिवर्तन कर दिया। खासकर भारतीय आईटी इंजीनियर के लिए। नतीजा अमेरिका में भारतीय आईटी इंजीनियर की संख्या कम होती चली गई। हालात यह बन जाएगी अमेरिका में काम करने वाली भारत की कंपनियों को भी अमेरिकी कर्मचारी भर्ती करने पड़ रहे हैं। भारतीय कंपनियों में अमेरिकी कर्मचारियों की संख्या 70% तक पहुंच गई है।