उपदेश अवस्थी/भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने करुणा वायरस पर संवेदनशीलता के साथ फैसले लेते हुए दर्जनों प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। स्कूल,कॉलेज और सिनेमाघरों से लेकर हर ऐसे स्थान को बंद करने के आदेश दे दिए हैं जहां पर लोगों की भीड़ लगती है। आवाजाही बनी रहती है। परंतु इसी सरकार ने मध्यप्रदेश के 10 लाख से ज्यादा स्थाई एवं अस्थाई सरकारी कर्मचारियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रभावित होने के लिए लावारिस छोड़ दिया है।
मध्यप्रदेश में कलेक्टर से लेकर चपरासी तक हर कोई खतरे में
पिछले 48 घंटे में मध्य प्रदेश शासन ने ऐसे हर स्थान को बंद करने की घोषणा कर दी है जहां पर 20 या 20 से अधिक लोगों के एकत्रित होने की संभावना हो। यहां बताना जरूरी है कि मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर के सामने 20 से अधिक लोग उपस्थित होते हैं। वह संक्रमित हैं या नहीं पता करना असंभव है। इसी तरह हर वह कर्मचारी जो जिसकी ड्यूटी आम जनता के संपर्क में रहने के लिए है, कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रभावित हो सकता है। सरकार ने सिर्फ आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन बंद किए हैं परंतु सभी सरकारी कामकाज जहां आम जनता की भीड़ लगती है यथावत संचालित हो रहे हैं। मार्च के महीने में टैक्स कलेक्शन और बिल कलेक्शन का काम चल रहा है। विंडो पर बैठा कर्मचारी, शायद मौत के मुहाने पर बैठा है।
कर्मचारियों को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराएं
रविवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित करीब आधा दर्जन मंत्री बयान दे चुके हैं कि कोरोना वायरस का खतरा काफी गंभीर है। सभी ने एक सुर में कहा कि सरकारी कामकाज से जरूरी है लोगों की जान की हिफाजत करना। हालांकि वह सभी विधानसभा सत्र के संदर्भ में बात कर रहे थे परंतु उनके बयान सरकारी कर्मचारियों पर भी लागू होते हैं। सरकार को चाहिए कि 24 घंटे के भीतर कर्मचारियों को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराए जाएं। जब तक उपलब्धता सुनिश्चित नहीं हो जाती। अवकाश घोषित कर दिया जाए। क्योंकि मंत्रियों के अनुसार सरकारी कामकाज से जरूरी है कर्मचारियों के जीवन की हिफाजत करना।