सीलबंद स्मार्टफोन को 100 साल बाद ओपन करें, तब क्या होगा | GK IN HINDI

Bhopal Samachar
स्मार्टफोन को ही स्मार्ट इसलिए कहते हैं क्योंकि वह ज्यादातर खतरों से खुद को सुरक्षित कर लेता है। 2G मोबाइल फोन की तुलना में स्मार्टफोन की टेक्नोलॉजी ज्यादा एडवांस है। प्रश्न यह है कि यदि एक नए स्मार्टफोन को कुछ इस तरह सील बंद कर दिया जाए कि मौसम का उस पर कोई असर ही नहीं होगा और फिर 100 साल बाद उस बॉक्स को ओपन किया जाए तो क्या स्मार्टफोन फिर से ऑन हो जाएगा। आइए जानते हैं: 

eddieputera जो वर्षों पुरानी और कबाड़ हो चुकी चीजों पर काम करने के लिए दुनिया भर में मशहूर है, इंस्टाग्राम पर उनके तीन लाख से ज्यादा फॉलोअर्स है और अब तक वह 5000 से ज्यादा ऐसी चीजों पर रिसर्च कर चुके हैं जो वर्षों पुरानी थी और जिसे लोगों ने कबाड़ घोषित कर दिया था, का कहना है कि यदि आप बाजार में मौजूद किसी भी स्मार्टफोन को 100 साल के लिए बंद करके रख दें तो ना केवल उसकी बैटरी पूरी तरह से खराब हो जाएगी बल्कि स्मार्टफोन की याददाश्त (मेमोरी) भी चली जाएगी।

लिथियम आयन बैटरियों की लाइफ कितनी होती है 

स्मार्ट फोन में यूज होने वाली लिथियम आयन समेत सभी प्रकार की बैटरियां एक समय के बाद स्वतः डिस्चार्ज हो जाती हैं। आमतौर पर स्मार्टफोन में लगी हुई लिथियम आयन बैटरियां हर महीने 1 से 2% की दर से सेल्फ़-डिस्चार्ज होती जाती हैं। अगर सब-कुछ ठीक रहा तो यह ज्यादा से ज्यादा 100 महीनों बाद पूरी तरह से डेड हो चुकी होगी।

मोबाइल की बैटरी पूरी तरह से डिस्चार्ज कब होती है

इसके अलावा, जब लिथियम आयन बैटरी आपके फ़ोन में 0% दिखाती है, तब भी इसमें एक छोटा रिज़र्व चार्ज बचा रहता है, क्योंकि सही मायने में 0 हो जाने पर तो बैटरी पूरी तरह खराब हो जाती है। आजकल के फोनों में इस्तेमाल होने वाली कोई भी बैटरी 100 साल से पहले ही बेकार हो जाएगी, और इसकी रिकवरी की कोई उम्मीद नहीं रहेगी।

NAND फ्लैश मेमोरी क्या होती है, कैसे काम करती है

इसके अलावा, आधुनिक फोन ऑपरेटिंग सिस्टम ‘नाण्ड’ फ्लैश मेमोरी (NAND flash memory) में संग्रहीत किए जाते हैं। यह फ्लैश मेमोरी समय के साथ धीरे-धीरे जानकारी खो देती है, ऐसा भौतिकी के एक समस्यात्मक सिद्धांत के कारण होता है, जिसे "क्वांटम टनलिंग" कहते हैं। अगर ‘नाण्ड’ फ्लैश मेमोरी को पावर सप्लाई न दी जाय तो यह ज्यादा से ज्यादा 5-10 सालों में जानकारी खोना शुरू कर देती है। ऐसी स्थिति में 100 सालों में फोन की मेमोरी पूरी तरह से मिट जाएगी और फोन बैटरी बदले जाने के बावजूद भी बूट नहीं हो सकेगा।

100 साल बाद स्मार्ट फोन के प्रोसेसर का क्या होगा

और अंत में, आजकल के प्रोसेसर कॉस्मिक और गामा जैसी किरणों के स्वाभाविक विकिरण के कारण धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं। अगर फोन को किसी मजबूत सील्ड के भीतर नहीं रखा गया तो एक सदी के बाद, लगातार होने वाले विकीरणीय नुकसान के नतीजतन प्रोसेसर या दूसरी चिपें भी बेकार हो सकती हैं।
अंग्रेजी में मूल लेखक Franklin Veaux, Technology enthusiast, mad engineer, and tech startup founder. श्री राकेश घनशाला (Rakesh Ghanshala) जो एक स्वतंत्र लेखक है, ने इसका अनुवाद किया है। 

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