भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी संकट के बीच अब तक 100 से ज्यादा ट्रांसफर किए जा चुके हैं। इनमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और मध्य प्रदेश राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी शामिल हैं। तमाम तबादलों के बीच एक ट्रांसफर आर्डर ऐसा है जो हाईलाइट हो रहा है। भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक डॉ. नरोत्तम मिश्रा के दामाद श्रीमन शुक्ला को पावरफुल पोस्टिंग दी गई है।
प्रदेश सरकार ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद गुना और ग्वालियर के कलेक्टर हटा दिए। शहडोल कलेक्टर ललित दाहिमा का तबादला कर दिया। यहां तक तो माना गया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पसंद वाले अधिकारियों को हटाया गया है परंतु भाजपा नेता और वरिष्ठ विधायक डॉ.नरोत्तम मिश्रा के दामाद श्रीमन शुक्ला को महत्वपूर्ण माने जाने वाले राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) में प्रबंध संचालक बनाया है। सरकार 16 आईएएस, 32 राज्य प्रशासनिक सेवा और 40 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के तबादले बीते दस दिन में कर चुकी है। वहीं, पुलिस मुख्यालय ने 15 निरीक्षकों के तबादले किए हैं।
ताबड़तोड़ तबादलों से प्रशासन में अफरा-तफरी
राजनीतिक घटनाक्रम के बीच हो रहे तबादलों से प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई है। दरअसल, इस मौके पर अधिकारी तबादले नहीं चाहते थे, क्योंकि सत्ता परिवर्तन होती है तो इसका असर उनके कॅरियर पर पड़ सकता है। हालांकि, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर इनका कहना है कि कुछ अधिकारी प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी गए हैं। इनके जाने की वजह से कामकाज प्रभावित न हो, इसलिए पदस्थापनाएं की गई हैं और यह पहले से प्रस्तावित थी।
भाजपा ने कहा ऐसे हालात में भी तबादला उद्योग चल रहा है
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने सियासी घटनाक्रम के बीच सरकार के तबादले करने पर सवाल उठाए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह सरकार तबादलों में ही व्यस्त है। पूरे समय तबादला उद्योग चलता रहा है।
इस समय तबादला करना जरूरी नहीं था: पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा
पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि इस मौके पर तबादले करना गैरजरूरी है। इससे बचना चाहिए था। तबादले सरकार के स्तर से होते हैं और अधिकारी उसे क्रियान्वित करते हैं। बात चाहे राजनीतिक माहौल की हो या फिर कोरोना वायरस सहित अन्य चीज की, अभी पूरा जोर मैदानी स्तर पर प्रशासन पर दिया जाना चाहिए था। इसके लिए जो अधिकारी वहां पदस्थ थे, उन्हें कुछ समय और रखना था। नए अधिकारी पहुंचेंगे और चीजों को समझेंगे। इसमें समय भी लगता है।