भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले सप्ताह से शुरू हुए सियासी घटनाक्रम का क्लाइमैक्स शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश के 22 कैबिनेट मंत्रियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के छह मंत्रियों ने इस्तीफा नहीं दिया है। मंगलवार को इन सभी छह मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार सुबह विधायक दल की बैठक बुलाई है। कमलनाथ कैबिनेट में कुल 28 मंत्री थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने शरीर से मंत्रिमंडल का गठन करेंगे।
मध्य प्रदेश की राजनीति में सोमवार सुबह से बड़ी उथल-पुथल शुरू हो गई थी। सीएम कमलनाथ दिल्ली में सोनिया गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलने गए थे। दिल्ली में बात नहीं बनी तो कमलनाथ भोपाल वापस लौट आए। दिल्ली से खबर आई कि ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेताओं से मिले। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के छह मंत्रियों सहित 17 विधायक बेंगलुरु एवं दिल्ली में है। विधायकों की लामबंदी कमलनाथ सरकार के लिए खतरा थी। सीएम कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह से मशवरा करने के बाद जवाबी हमला तय किया।
होली के दिन कांग्रेस और भाजपा के विधायक दल की बैठक
उन्होंने तुरंत कैबिनेट की बैठक बुलाई। बैठक में शामिल 20 मंत्रियों ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया। मंगलवार सुबह कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी बुलाई गई है। भाजपा ने भी इसी दिन विधायक दल की बैठक बुलाई है। इस बीच, राज्यपाल लालजी टंडन ने भी अपनी छु्ट्टी कैंसल कर दी है, वे मंगलवार को भोपाल पहुंचेंगे। कमलनाथ ने कहा- ये माफिया के सहयोग से सरकार को अस्थिर करने की कोशिश है।
सिंधिया समर्थक विधायकों की सुरक्षा के लिए 400 पुलिसकर्मी तैनात
मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत और प्रभुराम चौधरी बेंगलुरु गए हैं। इनके फोन बंद मिले। राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, जसवंत जाटव, बिजेंद्र यादव, जसपाल जज्जी, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रक्षा सिरोनिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज कंसाना और सुरेश धाकड़ से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित एक रिसॉर्ट में विधायकों को ठहराया गया है। यहां 400 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ विधायक दिल्ली में हैं।