ग्वालियर। अंचल का सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में प्रतिदिन 3 हजार की ओपीडी होती है। जिसमें कई गंभीर मरीज चेकअप के लिए पहुंचते हैं। कोरोना पॉजीटिव पाया गया मरीज इस ओपीडी में तीन दिन तक घूमता रहा है। डॉक्टरों ने लक्षण एवं केस हिस्ट्री होने के बाद भी भर्ती करना जरूरी नहीं समझा। अब जब रिपोर्ट पॉजीटिव आई तो डॉक्टरों के भी होश उड़ गए हैं। जिसका खामियाजा अब कई मरीजों या अस्पताल के स्टाफ को भी भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि चेतकपुरी निवासी 36 वर्षीय मरीज की रिपोर्ट कोरोना पॉजीटिव आई है।
यह मरीज 12 मार्च को खजुराहो से ग्वालियर लौटा था। जब उसे सर्दी, जुकाम एवं बुखार की शिकायत हुई तो वह 17 मार्च को जयारोग्य अस्पताल की ओपीडी में चेकअप के लिए पहुंचा था। यहां सामान्य मरीजों के साथ लाइन में लगकर उसने एक्सरे कराया था। इसके अलावा सीबीसी टेस्ट भी हुआ था। मरीज के मकान मालिक रामचरण शर्मा के मुताबिक पीड़ित तीन दिन में तीन बार माधव डिस्पेंसरी में चेकअप कराने पहुंचा था।
गौरतलब है कि जेएएच की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 3 हजार मरीज पहुंचते हैं। पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर को दिखाने एवं एक्सरे के लिए भी लंबी लाइन लगती है। कई बार तो पैर रखने की जगह तक नहीं होती है। ऐसे में इन तीन दिनों में मरीज ना जाने कितने अन्य मरीजों के संपर्क में आया होगा। प्रबंधन की लापरवाही के कारण बीमारी का खतरा बढ़ गया है।
पीड़ित के मकान मालिक रामचरण शर्मा के मुताबिक मरीज खजुराहो में जिस होटल में रूका था, वहां विदेशी भी ठहरे थे। उसे जब सर्दी जुकाम की शिकायत हुई तो संदेह हुआ। मकान मालिक से बातचीत के दौरान उसने यह बताया भी था। डॉक्टरों को भी मरीज ने पूरी केस हिस्ट्री बताई थी। होम क्वरंटाइन का सुझाव देकर उसे लौटा दिया गया। यदि उसी समय उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करके टेस्ट कराया होता तो स्थिति बिगड़ने का खतरा नहीं होता। परिणामस्वरूप वह कई अन्य मरीजों के संपर्क में आया, पत्नी को भी भर्ती करने की नौबत आ गई।
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