भोपाल। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार आम जनता से उम्मीद करती है कि वह सजग रहे और अपने व्यापार रोजगार बंद करके टोटल लॉक-डाउन का पालन करें। लोग ऐसा कर भी रहे हैं परंतु भोपाल का जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अपना काम नहीं कर रहा। भोपाल शहर में आधा दर्जन से ज्यादा कोरोना वायरस के संदिग्ध लोग मौजूद हैं। यह सभी विदेशों से या फिर संक्रमित क्षेत्रों से वापस आए हैं। पड़ोसियों ने सूचनाएं दी परंतु जांच करने कोई टीम नहीं आई। स्थिति स्पष्ट न होने के कारण इलाकों में डर बना हुआ है।
अयोध्या नगर में पूरी कॉलोनी का बहिष्कार हो गया
अयोध्या नगर इलाके में स्थित एक कॉलोनी में एक व्यक्ति जापान से लौट कर आया है। देखने में वह स्वस्थ नजर आता है। पार्क में मॉर्निंग वॉक पर भी आ रहा है। 17 तारीख को घर लौट आया था आज 23 तारीख है सब कुछ सामान्य है। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते वह खुद अपने इलाज के लिए गया था परंतु जांच नहीं की गई। पास पड़ोसियों ने प्रशासन को अपने अपने तरीके से सूचनाएं भेजी परंतु कोई टीम नहीं आई। अब स्थिति यह बन गई है कि अयोध्या नगर इलाके के लोगों ने उस कॉलोनी में रहने वाले सभी लोगों से दूर रहने का फैसला किया है। एक तरह से पूरी कॉलोनी का बहिष्कार कर दिया गया।
वैशाली नगर में लंदन से लौटी लड़की छुपी है, पंजाबी बाग में एक परिवार है
वैशाली नगर के लोगों ने पहले सोशल मीडिया पर फिर पत्रकारों तक अपनी बात पहुंचाई। उनका कहना है कि वह लगातार प्रशासन से टीम भेजने की मांग कर रहे हैं। वैशाली नगर में एक लड़की लंदन से लौटी है। उसके परिवार के लोगों ने उसे घर में बंद करके रखा है। लोग जानना चाहते हैं वह लड़की स्वस्थ है या संक्रमित ताकि पास पड़ोस के लोग अपनी सुरक्षा के लिए इंतजाम कर सकें। समाचार लिखे जाने तक प्रशासन ने वैशाली नगर में कोई टीम नहीं भेजी थी। इसी तरह पंजाबी बाग में भी एक परिवार पर्यटन से लौटा है। इस परिवार के लोगों को जुकाम खांसी दिखाई दे रहा है। पड़ोसियों ने प्रशासन को सूचना भेजी लेकिन टीम नहीं आई। लोगों में डर है यदि इस परिवार में संक्रमण हुआ तो पूरी कॉलोनी में फैल चुका होगा।
सीएमएचओ निबंध सुना रहे हैं, डाटा नहीं है
भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुधीर देहरिया का बयान सामने आया है। वह अपने विभाग की जागरूकता का निबंध सुनाते नजर आए। उनका कहना है कि जहां से भी सूचनाएं आ रही है वह टीम भेजी जा रही है। उनके पास कोई डाटा नहीं है कि कुल कितनी सूचनाएं आई और कितनी सूचनाओं पर टीम भेजी गई। उनके पास कोई विकल्प नहीं है कि यदि आज से पहले घोषित किए गए टेलीफोन नंबर पर कोई रिस्पांस ना मिले तो क्या करें। भोपाल के कलेक्टर और डीआईजी ने लॉक डाउन को सफल बनाने की अपील तो की है लेकिन यह नहीं बताया कि जब डॉक्टर इलाज ना करें तो किसके पास जाएं।
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