भोपाल। कमलनाथ सरकार की गिर जाने की खुशी उन लोगों को भी हो सकती है जिन्होंने भले ही वोट कांग्रेस को दिया था लेकिन भोपाल शहर का विभाजन नहीं चाहते थे। भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव हारे दिग्विजय सिंह भोपाल शहर का विभाजन करने की कोशिश कर रहे थे। उनके बेटे और तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह जिद पर अड़ गए थे। यदि सरकार ने गिरती तो भोपाल का विभाजन सुनिश्चित था।
लोकसभा चुनाव के बाद जिला कांग्रेस ने दो नगर निगम के गठन का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव पर दावे- आपत्ति की प्रक्रिया पूरी हो गई है। एक तरफ दो निगम गठन की फाइल 5 माह से राज्यपाल के पास विचाराधीन है और दूसरी तरफ भाजपा के जिला महामंत्री सत्यार्थ प्रकाश अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। भाजपा ने इसको लेकर आंदोलन भी किया था और निगम परिषद ने भी इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था। ऐसे में सरकार बदलने पर दो नगर निगम गठन की प्रक्रिया रुकना तय है।
भोपाल मास्टर प्लान का ड्राफ्ट वापस होगा या फिर संशोधन होंगे
दस साल के इंतजार के बाद भोपाल मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी हुआ था। भाजपा के स्थानीय नेताओं का कहना है कि ड्राफ्ट तैयार करने से पहले उनसे सलाह लेने की केवल औपचारिकता निभाई गई। कांग्रेस नेताओं के इशारे पर ही लैंडयूज तय किए गए। एेसे में ड्राफ्ट को वापस लेकर नए सिरे से तैयार किया जाना चाहिए। संभावना यह भी है कि दावे, आपत्ति और सुझावों का समय बढ़ाकर प्लान में बदलाव किए जा सकते हैं।