जबलपुर। भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के संदर्भ में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई कोरोना वायरस के नाम पर टल गई। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव उपस्थित नहीं हुए। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण उन्हें मुख्यालय पर रहना अनिवार्य है। हाई कोर्ट ने उन्हें 17 मार्च को हर हाल में बुलाया है।
मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस जवाब को संतोषजनक न पाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को 17 मार्च को हर हालत में कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया। भोपाल गैस पीड़ित महिला संगठन सहित अन्य ने बीएमएचआरसी में सुविधाओं की कमी को लेकर जनहित याचिका दायर की है। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व राजेश चंद ने दलील दी कि मॉनिटरिंग कमेटी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कई अनुशंसाएं दी हैं। सरकार को इनका पालन सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि गैस पीड़ितों को अपेक्षाकृत बेहतर इलाज मुहैया हो सके, जो कमेटी व बीएमएचआरसी की स्थापना का मूल उद्देश्य है। पर्याप्त स्टाफ न होने की वजह से मरीजों को दूसरे अस्पतालों की शरण लेनी पड़ रही है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति प्रक्रिया अटकी पड़ी है। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को जिम्मेदारी का एहसास कराया जाना अति आवश्यक है।
स्वास्थ्य सचिव इससे पहले भी नहीं आए थे
28 जनवरी को कोर्ट ने मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिए थे कि वे 13 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहकर अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करें। इसके बाद 13 फरवरी को एक मौका देते हुए कोर्ट ने उन्हें 4 मार्च को हाजिर होने को कहा, लेकिन बुधवार को भी वे हाजिर नहीं हुए। उनकी ओर से पेश जवाब में बताया गया कि डॉक्टरों का प्रमोशन किया गया। असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रोफेसर के पदों के लिए चयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है। शेष खाली पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किए गए हैं। इसे रिकॉर्ड पर लेकर कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 मार्च को निर्धारित कर दी।