भोपाल। मध्यप्रदेश में अब तक कोरोनावायरस के 5 पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। यह सभी मरीज विदेशों से वापस मध्यप्रदेश लौटे हैं। चार मामले जबलपुर शहर में जबकि एक मामला भोपाल शहर में पाया गया है। मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 की धारा 71(2) में उल्लेखित सभी अधिकार जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन को प्रदत्त कर दिए गए हैं।
मध्यप्रदेश शासन की आधिकारिक सूचना
मध्यप्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 07 मार्च 2020 को दिए गए आदेश अनुसार मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 की धारा 71 (2) में प्रावधानित समस्त अधिकार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक को प्रदत्त किए गए हैं।
अत: जन स्वास्थ्य एवं लोकहित में आवश्यकता अनुसार मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 में निहित शक्तियों का उपयोग कर कोरोना संक्रमण वायरस से बचाव हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक द्वारा हरसंभव कार्यवाही की जाएगी।
यहां यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि इन अधिकारियों द्वारा मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर 3 माह की सजा एवं जुर्माना भी किया जा सकता है। विशेषकर कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम हेतु क्वॉरेंटाइन आइसोलेट किए गए व्यक्ति अथवा चिकित्सकीय जांच परामर्श के उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर अविलंब कार्यवाही की जाएगी।
मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट 1949 की धारा 71(2) से तात्पर्य सरल शब्दों में
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक को यह अधिकार है कि वह संक्रमण से ग्रसित या संदिग्ध व्यक्ति को इलाज के लिए आइसोलेशन में भेजे। संदिग्ध मरीजों को आइसोलेशन के नियमों का पालन करना अनिवार्य है। यदि वह नियमों का उल्लंघन करते हैं या फिर आइसोलेशन से मुक्त होने की कोशिश करते हैं तो ऐसी स्थिति में बल प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे किसी भी प्रयास को चाहे वह मरीज द्वारा किया गया हो या उसके परिवार द्वारा, अपराध माना जाएगा और 3 माह की जेल का प्रावधान है।