How to protect yourself from coronavirus
नई दिल्ली। हिंदुओं के दंडवत प्रणाम की परंपरा जिसे वैज्ञानिकों ने पंडितों का ढोंग करार दिया था, अब सारी दुनिया को कोरोना वायरस से बचाने के लिए मदद कर रहा है। अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेट्री एंड क्रिटकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार यदि वेंटीलेटर पर कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज को दंडवत प्रणाम की स्थिति में लिटाया जाए तो उसकी रिकवरी तेजी से होती है। चीन के वैज्ञानिकों ने भी इस थ्योरी को मान्यता देते हुए अपने नागरिकों से अपील की है कि वह पेट के बल सोने की कोशिश करें।
चीन में रिसर्च करने के बाद दंडवत को प्रमाणित पाया गया
चीनी शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में बताया है कि ऐसे मरीजों को अगर उल्टा लिटाया जाए तो सांस लेना आसान हो जाता है। ऐसी स्थिति में पेट के बल लेट जाएं और मुंह को तकिए पर रखें। यह रिसर्च कोरोनावायरस के गढ़ वुहान में इस वायरस से जूझ रहे मरीजों पर की गई है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेट्री एंड क्रिटकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित शोध ने दंडवत को दमदार माना
अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेट्री एंड क्रिटकल केयर मेडिसिन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, वेंटीलेटर पर कोरोना पीड़ित का उल्टा लेटना फेफड़ों के लिए बेहतर है। चीन में साउथवेस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता हैबो क्यू के मुताबिक, जब फेफड़ों पर सकारात्मक दबाव बढ़ता है तो उनका व्यवहार बदलता है। ऐसी स्थिति में मरीज राहत महसूस करता है।
वुहान में 12 कोरोना पीड़ितों पर हुई रिसर्च
वुहान के 12 कोरोना पीड़ितों पर यह रिसर्च की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि नए कोरोनावायरस के मरीज एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम से जूझते हैं। जिन्हें मशीनों के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। चीन में भी कोरोना के जो मरीज भर्ती हुए वो भी इस सिंड्रोम से जूझ रहे थे।
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने माना शरीर की पोजिशन का भी प्रभाव
यह रिसर्च एक हफ्ते तक चली थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि इलाज के दौरान मरीज के शरीर की पोजिशन का भी प्रभाव पड़ता है। गलत तरह से लेटने पर शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। वेंटिलेटर पर लेटे कोरोना पीड़ित मरीज का ऑक्सीजन लेवल, फेफड़ों का आकार और एयर-वे प्रेशर जांचा गया।