नई दिल्ली। देश में अब तक कोरोना वायरस से 7 लोगों की मौत हो चुकी है, एक्टिव पॉजिटिव मामलों की संख्या 396 हो गई है। कुल संक्रमित लोगों में भारतीय नागरिक और विदेशी नागरिक शामिल हैं। 26 लोगों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया है। देश के ज्यादातर राज्यों में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं| रेल, बस पूरी तरह और हवाई सेवा आंशिक रूप से बंद है। देश 75 जिलों में सरकार द्वरा लॉक डाउन घोषित कर दिया गया है। पूरी दुनिया में इस वायरस से ३ लाख लोग संक्रमित है तथा 13050 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में इससे बचाव का प्रयोग “ जनता कर्फ्यू” पूरी तरह सफल रहा है।
लेकिन, अभी खतरा टला नहीं है। केंद्र के परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत आने वाले स्वायत्त संगठन गणितीय विज्ञान संस्थान (आईएमएससी) के अध्ययन में कहा गया है कि भारत में आने वाले बुधवार तक कोविड-19 के मरीज करीब 400 तक हो सकते हैं तथा और खराब स्थिति में यह संख्या 900 तक पहुंच सकती है। चेन्नई के इस प्रतिष्ठित संस्थान द्वारा किये गये महामारी विज्ञान अध्ययन में पता चला है कि जिस तेजी से कोरोना वायरस दुनियाभर में फैल रहा है तो इसका देशों की अक्षांश स्थिति से संबंध हो सकता है।
इस विषय पर अध्ययन करने वाले प्रोफेसर सीताभ्रा सिन्हा ने कहा कि मामले बढ़ेंगे या घटेंगे यह निजी स्तर पर लोगों की प्रतिक्रिया और इस संकट से निपटने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को सहयोग जैसी बातों पर निर्भर करेगा। विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते हुए संस्थान की दो सदस्यीय टीम ने कोरोना वायरस के प्रसार का संबंध अक्षांश स्थिति से बताया। इन वैज्ञानिकों ने कहा है कि ‘सामान्य तौर पर उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में इस महामारी के फैलने की वृद्धि दर अधिक है।' अध्ययन में मौसम परिस्थितियों और वायरस फैलने की दर के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया। इस संक्रामक रोग से दुनियाभर में अब तक 13000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जिसके चलते भारत समेत विभिन्न देशों को लॉक डाउन की घोषणा करनी पड़ी। शोधकर्ता ने कहा कि देशों की अक्षांश स्थिति और रोगाणुओं के छितराव की दर के बीच संबंध आगे के अध्ययन में और पुख्ता होगा, जो अभी चल रहा है।
इधर प्रभावी रोकथाम कि दृष्टि से 75 जिलों में लॉकडाउन की संस्तुति कर दी गई है| सब जानना चाहते हैं आखिर ये लॉकडाउन क्या है?लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था है जो सामान्य तौर पर लोगों को एक निश्चित इलाके में आवागमन से रोकने के लिए इस्तेमाल की जाती है। सामान्य तौर पर इस प्रोटोकॉल की शुरुआत प्रशासन द्वारा की जाती है। इसकी घोषणा सामान्य तौर लोगों को बड़ी आपदाओं से बचाने के लिए की जाती है। फुल लॉकडाउन का मतलब होता है कि लोग अपने घरों से बिल्कुल बाहर नहीं निकल सकते जब तक कि कोई बेहद वाजिब कारण न हो या फिर कोई मेडिकल इमरजेंसी न हो। इसका प्रयोग आज़ादी के बाद गुजरात के सूरत में फैली महामारी के दौरान किया गया था।
लॉकडाउन में सरकार का यह मकसद होता है कि लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने से बचें| खासतौर से सरकार के द्वारा सुझाए गए व्यवस्था पर अमल किया जाए, संक्रमण को रोकने के लिए जो भी उपाय स्थानीय प्रशासन सुझाता है उस पर अमल करना बेहद ज़रूरी है। किसी गम्भीर मरीज को दिखाना हो या गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाना हो तो ऐसे अत्यंत जरूरी कामों के लिए घर से बाहर निकला जा सकता है।
दूध, सब्जी, किराना और दवाओं की दुकान लॉकडाउन के दायरे से बाहर होती हैं। लेकिन इन दुकानों पर बेवजह भीड़ लगाने से बचना बेहद जरूरी हो जाता है। राज्य सरकार ने पेट्रोल पंप और एटीएम को आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में रखा है| सरकार जरूरत के हिसाब से पेट्रोल पंप और एटीएम खुलवा सकती है। यह जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की ज्यादा बनती है स्थानीय प्रशासन चाहे तो पेट्रोल पंप चला सकता है अथवा बंद भी कर सकता है| किसी भी जिले को लॉकडाउन करने के बाद निजी गाड़ियों का इस्तेमाल हो सकता है बशर्ते निजी गाड़ियों के इस्तेमाल से लोगों को परेशानी ना हो। खासतौर से कोरोना वायरस के केस में गाड़ियों की संख्या अगर सड़क पर ज्यादा बढ़ती है तो भीड़-भाड़ से बचने का फार्मूला टूट जाएगा. अगर कोई गंभीर बीमार या परेशानी में है तो उसको लेकर अपनी गाड़ी से निकला जा सकता है. लेकिन सरकार के लॉकडाउन के मकसद का विशेष ध्यान रखें।
जनता कर्फ्यू को देखकर सरकारी अंदाज़ है कि भारत कोरोना के खिलाफ तैयार है। माना जा रहा है कि जनता कर्फ्यू देशभर में सफल रहा है। अगर कोरोना के मरीज बढ़ते हैं और देश में लॉकडाउन के हालात उपजते हैं तो हमे बहुत ध्यान रखना होगा। जैसे जब तक कोई इमरजेंसी न हो घर के बाहर न निकलें| लॉकडाउन की घोषणा के बाद घर के बाहर अकारण मिलने पर प्रशासन कार्रवाई भी कर सकता है। जो लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे है, वे भ्रामक खबरें बिल्कुल शेयर न करें।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।