यदि होम क्वॉरेंटाइन व्यक्ति घूमता मिले तो किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी, यहां पढ़ें | IPC SECTION 271

Bhopal Samachar
कोरोना वायरस या COVID-19 सारी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि लोग होम क्वॉरेंटाइन के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्हें 14 दिनों तक घर के अंदर किसी कमरे में बंद रहने के निर्देश दिए जाते हैं परंतु वह कभी घर की छत पर डालते हैं तो कभी कॉलोनी के पार्क में। आइए जानते हैं इन लोगों के खिलाफ किस कानून की किस धारा के तहत FIR दर्ज की जा सकती है।

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 271 (संक्रमण फैलाना एक अपराध)

दरअसल, COVID-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की है। जहाँ पिछले एक लेख में हम भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 269 और धारा 270 को संक्षेप में समझ चुके हैं, वहीँ इसे लेख में हम इस संहिता की धारा 271 को समझने का प्रयास करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं। क्या है भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 271 ?

IPC की धारा 271, करन्तीन (Quarantine) के नियम की अवज्ञा (Disobedience) से सम्बंधित प्रावधान है। यह एक वह प्रावधान है, जो जब लॉकडाउन ऑपरेशन में हो, तब लागू हो सकता है। इस प्रावधान के तहत, छह महीने तक का कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर करन्तीन (Quarantine) का तात्पर्य, एक अवधि, या अलगाव के एक स्थान से है, जिसमें लोग या जानवर, जो कहीं और से आए हैं, या संक्रामक रोग के संपर्क में आए हैं, उन्हें रखा जाता है। 

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 271 के अंतर्गत यह कहा गया है कि, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर उस नियम की अवज्ञा करता है, जिसके तहत, कुछ स्थानों को, जहाँ कोई इन्फेक्शस रोग फैला है, उसे अन्य सभी स्थानों से अलग किया जाता है, तो ऐसा व्यक्ति, इस प्रावधान के तहत दोषी ठहराया जा सकता है। चलिए आगे बढ़ने से पहले हम इस धारा को पढ़ लेते हैं। 

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 271 यह कहती है कि:-

जो कोई किसी जलयान को करन्तीन की स्थिति में रखे जाने के, या करन्तीन की स्थिति वाले जलयानों का किनारे से या अन्य जलयानों से समागम विनियमित करने के, या ऐसे स्थानों के, जहां कोई संक्रामक रोग फैला हो और अन्य स्थानों के बीच समागम विनियमित करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए और प्रख्यापित किसी नियम को जानते हुए अवज्ञा करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा। 

इस धारा के अंतर्गत जलयान वाली बात पर हम लेख में गौर नहीं करेंगे क्योंकि वो हमारे लिए बिलकुल भी प्रासंगिक नहीं। बल्कि, हम इस धारा की केवल उस बात पर गौर करेंगे, और समझेंगे जहाँ यह कहा गया है कि जहाँ कोई व्यक्ति "ऐसे स्थानों के, जहां कोई संक्रामक रोग फैला हो और अन्य स्थानों के बीच समागम विनियमित करने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए और प्रख्यापित किसी नियम को जानते हुए अवज्ञा करेगा"। 

दूसरे शब्दों में, इस धारा के अंतर्गत जो कोई व्यक्ति करन्तीन नियमों की अवज्ञा करेगा उसे इस धारा के अंतर्गत दण्डित किया जा सकता है। करन्तीन नियम का अर्थ यह होगा जहाँ किसी क्षेत्र को किसी अन्य क्षेत्र से अलग करके रखा गया हो, जिससे कोई इन्फेक्शस रोग का फैलाव न हो। 

[काल्पनिक उदाहरण] पटना में एक शादी-शुदा जोड़े को होम-करन्तीन मानदंडों/नियमों के तहत पटना के एक हॉस्पिटल में रखा गया था, वे सऊदी-अरब से लौटे थे और यह माना जा रहा था कि वे कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। इस नियम का उल्लंघन करते हुए, वे उस हॉस्पिटल से बाहर निकल कर घूमते हुए पाए गए। वे इस धारा के अंतर्गत दण्डित किये जा सकते हैं। 

धारा 271 के अंतर्गत अपराध गठित करने के लिए आवश्यक सामग्री  

1.करन्तीन का एक नियम का अस्तित्व में होना चाहिए 
2.  ऐसे नियम का सरकार द्वारा प्रख्यापित किया गया होना 
3. अभियुक्त को ऐसे नियम की जानकारी होना 
4. अभियुक्त द्वारा जानबूझकर ऐसे नियम की अवज्ञा किया जाना 
5. यह महत्वहीन है कि अभियुक्त का उद्देश्य/हेतुक ऐसे नियम की अवज्ञा करना था अथवा नहीं। 

कोरोना एवं भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 271 कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच सरकारों द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि लोगों के बीच भौतिक संपर्क कम से कम हो। वहीँ, विदेश से आने वाले लोगों और कोरोना संदिग्ध लोगों को करन्तीन नियमों के अंतर्गत रहने का आदेश दिया जा रहा है। आमतौर पर अस्पतालों को करन्तीन केंद्र बनाया गया है, जिसमे लोगों को रखा जा रहा है, जिससे कि वो अन्य लोगों के संपर्क में न आयें और कोरोना वायरस का फैलाव न हो सके। इस नियम के तहत ऐसे लोगों को अलग-थलग रहने के लिए कहा गया है। ऐसे कई मामले भी आये हैं, जहाँ लोगों को अपने अपने घरों में ही रहने की सलाह दी गयी है क्योंकि वो किसी कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आये हैं और यह संदेह है कि वे भी कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए, ऐसे लोगों द्वारा, औरों को कोरोना से संक्रमित न किया जा सके इसलिए उन्हें स्वयं को करन्तीन रखने का आदेश दिया जा रहा है। परंतु, इन सभी मामलों में ऐसे आदेश की अवज्ञा के मामले भी सामने आ रहे हैं, इन्ही मामलों में धारा 271 लागू होगी। 

उदाहरण केरल के एक हालिया मामले में, अमेरिका से लौटने के बाद, एक व्यक्ति ने सरकारी मानदंडों के अनुसार होम करन्तीन के लिए पंजीकरण किया था। हालांकि, यह व्यक्ति करन्तीन दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहा था और जोखिम भरा व्यवहार कर रहा था। स्वास्थ्य विभाग से सूचना मिलने के बाद, पुलिस ने सत्यापन किया और यह पाया कि व्यक्ति बाजार स्थानों में घूम रहा था। *इसके पश्च्यात, IPC की धारा 188/269/270 एवं धारा 271 के तहत इस व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है* और इस व्यक्ति को संस्थागत करन्तीन केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया है। हालाँकि, इस मामले के तथ्यों को हम सत्यापित नहीं कर रहे हैं पर इस लेख को समझने के लिए हम न्यूज़ रिपोर्ट्स में आये तथ्यों का इस्तेमाल भर कर रहे हैं। अंत में, यह कहना आवश्यक है कि इस लेख का मकसद आप सभी पाठकगण को सजग एवं सतर्क बनाना है, जिससे आप इस महामारी से बचने के लिए अपने आप को न केवल शारीरिक रूप से सुरक्षित रखें, बल्कि आप मानसिक रूप से भी इस महामारी से लड़ने के लिए तैयार रहें।
बी. आर. अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र) Mob.9827737665

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