किसी भी ऑपरेशन या सर्जरी के बाद शरीर के काटे गए हिस्से को फिर से जोड़ने के लिए डॉक्टर टाका लगाते हैं। सवाल यह है कि टांका लगाने के लिए डॉक्टर किस तरह के धागे का उपयोग करते हैं। क्या टांका लगाने के लिए वही धागा यूज़ किया जाता है जो टेलर मास्टर कपड़ा सिलने के लिए करते हैं या फिर डॉक्टरों का धागा कुछ अलग तरह का होता है।
राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे इंजीनियरिंग स्टूडेंट देवेंद्र कुमार यादव बताते हैं कि जिस धागे का उपयोग डॉक्टर टांका लगाने के लिए करते हैं उसे अक्सर भेड़ों व बकरियों की आँतों से बनाया जाता है। सूअरों, घोड़ों, गधों व खच्चरों की आँतों का प्रयोग भी पाया जाता है और यह प्रदूषण भी नहीं फैलाता। कैटगट द्वारा बने रेशे का प्रयोग भीतरी चीर -फाड़ को टांकने के लिए किया जाता है ताकि कुछ समय बाद यह अपने आप गल जाए।
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि ऑपरेशन में दो तरह के धागे का उपयोग टांके लगाने के लिए किया जाता है। मसलन शरीर के अंदर ऑपरेशन के बाद टांके लगाए जाते हैं तो वहां पर ऐसे धागे का उपयोग किया जाता है जो निश्चित समय के बाद अपने आप गल जाता है। जिससे मरीज को परेशानी नहीं होती लेकिन मरीजों के शरीर के बाहरी हिस्से में जिस धागे से टांके लगाए जाते हैं उन टांको में उपयोग होने वाला धागा अपने आप नहीं गलता लेकिन वह भी मेडिकेटेड होता है। सामान्य धागा नहीं होता।
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