नई दिल्ली। इन दिनों ज्यादातर लोगों की आंखों के सामने डिजिटल स्क्रीन होती है। वह या तो अपने स्मार्टफोन को देख रहे होते हैं या फिर डिजिटल टीवी को। सवाल यह है कि क्या पुरानी पिक्चर ट्यूब वाली टीवी की तुलना में डिजिटल टीवी की स्क्रीन और पुराने 2G मोबाइल फोन की तुलना में स्मार्टफोन की डिजिटल स्क्रीन आंखों के लिए ज्यादा नुकसानदायक है। आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं:
डॉ. महिपाल सिंह सचदेव का कहना है कि ‘‘लोगों की बदलती जीवन शैली तथा सभी उम्र के लोगों द्वारा डिजिटल स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग के कारण वैसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो मामूली से लेकर गंभीर दृष्टि दोषों से पीडि़त हैं। हालांकि इन समस्याओं को रोका जा सकता है या समय से उपचार कराकर इन्हें ठीक किया जा सकता है। अक्सर लोग धुंधली दृष्टि, अगल-बगल की चीजों के नहीं दिखने, आंखों में सूखापन या आंखों से पानी आने जैसी समस्याओं की अनदेखी करते हैं। समय पर इन समस्याओं का उपचार नहीं होने पर ये समस्याएं नेत्र अंधता का कारण बन सकती हैं।
डॉ.महिपाल के अनुसार , ‘‘मोतियाबिंद और रिफ्रेक्टिव दोष हमारे देश में सबसे अधिक आम समस्या है और ये नेत्र अंधता के वैसे कारण हैं, जिन्हें आसानी से रोका जा सकता है। कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के बारे में भी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। कार्निया दान करना दुनिया का सबसे अच्छा काम है। भारत में सबसे अधिक कॉर्निया प्रत्यारोपण की जरूरत है। बदलती तकनीक के साथ उपचार के परिणामों में सुधार हुआ है, लेकिन एकमात्र चुनौती इसे सभी के लिए सुलभ बनाना है।’’
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