इंदौर। भोपाल-दुर्ग के बीच रोज चलने वाली अमरकंटक एक्सप्रेस का विस्तार इंदौर तक होते-होते रह गया। कुछ रेल अधिकारियों के अहं और आपसी टकराहट के कारण ट्रेन का विस्तार टल गया है। पिछले दिनों रेलवे टाइम टेबल कमेटी की बेंगलुरु में हुई बैठक में अमरकंटक एक्सप्रेस को इंदौर तक बढ़ाने का प्रस्ताव आया तो एक जोन के अधिकारियों ने इससे असहमति जता दी और वे उखड़ गए। विरोध के कारण व्यापक लोकहित का प्रस्ताव अटक गया।
पिछले कई साल से इंदौर से रायपुर के बीच प्रतिदिन ट्रेन चलाने की मांग हो रही है। इसके लिए सबसे पहले पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को अमरकंटक एक्सप्रेस का विस्तार करने का विकल्प सुझाया था। उन्होंने कहा था कि इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस और अमरकंटक एक्सप्रेस का रैक लिंक कर दिया जाए तो अमरकंटक एक्सप्रेस को बिना अतिरिक्त रैक के इंदौर तक चलाया जा सकता है। अमरकंटक एक्सप्रेस इंदौर आकर नर्मदा एक्सप्रेस और नर्मदा एक्सप्रेस इंदौर आकर अमरकंटक एक्सप्रेस के रूप में चलाई जा सकती है। दिलचस्प बात यह है कि दो महत्वपूर्ण रेलवे जोन इस मामले में सहमत हो गए थे, लेकिन एक जोन के अड़ंगे के कारण प्रस्ताव उलझ गया। वर्तमान में इंदौर-रायपुर के बीच एकमात्र ट्रेन इंदौर-पुरी साप्ताहिक हमसफर एक्सप्रेस है, लेकिन रोजाना इस रूट पर कोई सीधी ट्रेन नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि 25, 26 और 27 फरवरी को बेंगलुरु में रेलवे टाइम टेबल कमेटी की बैठक थी। बैठक में नई ट्रेन चलाने, ट्रेनों के विस्तार और संचालन दिन बढ़ाने संबंधी प्रस्तावों पर विचार होता है। बैठक में अमरकंटक एक्सप्रेस को इंदौर तक चलाने का प्रस्ताव आया तो पश्चिम रेलवे और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारी तो तैयार थे, लेकिन पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारियों ने इस पर कड़ी आपत्ति ले ली।
रेलवे मामलों के वरिष्ठ जानकार नागेश नामजोशी ने बताया कि ऐसी जानकारी मिली है कि अमरकंटक एक्सप्रेस के इंदौर तक विस्तार को टाइम टेबल कमेटी से मंजूरी नहीं मिली है, जबकि इसमें कोई तकनीकी समस्या नहीं है। यह ट्रेन दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे की है और इसे पश्चिम रेलवे में आना है, लेकिन पता चला है कि पश्चिम मध्य रेलवे के अधिकारी इसके लिए तैयार नहीं हैं। इस मामले में पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन और वर्तमान सांसद शंकर लालवानी को शिकायत कर उनके समक्ष मामला उठाया जा रहा है।