इंदौर। पैथोलॉजी द्वारा सोनोग्राफी की गलत रिपोर्ट देने के मामले में एक मरीज का काफी कष्ट का सामना करना पड़ा। पहले तो गलत रिपोर्ट के कारण करीब एक महीने तक उसका गलत इलाज होता रहा और परेशानी बढ़ती रही। बाद में अन्य पैथालॉजी से सही रिपोर्ट आने पर पता चला कि पथरी के कारण उसकी किडनी में पस पड़ गया है। बीमारी ठीक करने के लिए उसके पेट में तार तक डालना पड़ा और दो बार ऑपरेशन भी करना पड़ा। मरीज को हुई शरीरिक, मानसिक और आर्थिक प्रताडऩा को लेकर उपभोक्ता फोरम ने अहम फैसला दिया।
फोरम ने मानसिक प्रताडऩा के लिए पैथालॉजी को 25 हजार रुपए चुकाने के आदेश दिए। जांच के लिए वसूले गए 800 रुपए की फीस करीब सवा तीन साल के 9 प्रतिशत वार्षिक दर के ब्याज सहित भी लौटाना होगी। परिवाद शुल्क के दो हजार रुपए भी पैथालॉजी संचालक को चुकाना होगा। फोरम के अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा और सदस्य सुमित्रा हाथीवाला द्वारा सुनाई गए फैसले के मुताबिक जेल रोड के खातीपुरा में रहने वाले मोहम्मद यूनुस (65) को 18 अक्टूबर 2016 को अचानक पेट के बाईं तरफ तेज दर्ज हुआ। इस पर उन्होंने क्षेत्र के डॉ. एसपी अगासे को चैक कराया। पथरी की आशंका के चलते डॉक्टर ने उन्हें सोनोग्राफी कराने की हिदायत दी। इस पर उन्होंने यशवंत प्लाजा स्थित समर्पण इमेजिंग सॉल्यूशन पैथोलॉजी पर 19 अक्टूबर को सोनोग्राफी करवाई थी।
वहां डॉ. अमित कुमार तिवारी ने सोनग्राफी की थी और उसी दिन रिपोर्ट मिल गई थी। रिपोर्ट में बताया गया उन्हें पथरी नहीं है बल्कि पीलिया है। रिपोर्ट के आधार पर उनका पथरी के बजाए पीलिया का इलाज शुरू हो गया। गलत इलाज के चलते उनका परेशानी हल नहीं हुई। फिर उन्होंने एक अन्य पैथालाजी और फिर ग्रेटर कैलाश अस्पताल में सोनोग्राफी करवाई जहां पथरी की बात सामने आई। विलंब के चलते उनकी किडनी में पस पड़ गया और उनका दो बार ऑपरेशन करना पड़ा। पेट में तार तक डालना पड़ा था, जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानी भी हुई और इलाज में काफी पैसा भी खर्च हुई। बाद में फोरम में केस दायर किया गया था जिस पर हाल ही में फैसला सुनाया गया है।