जबलपुर। मध्य प्रदेश के गुना जिले की चाचौड़ा विधानसभा में भाजपा की महिला नेता एवं पूर्व विधायक ममता मीना के पति एवं मध्य प्रदेश पुलिस में कार्यरत रघुवीर सिंह मीणा IPS का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने राहत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 2016 से 2020 तक उनकी याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को निरस्त कर दिया।
जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच ने कहा कि समिति व अन्य जांच में उक्त प्रमाण-पत्र फर्जी साबित हुआ। इसलिए उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति का उक्त आदेश उचित है। इसी के साथ कोर्ट ने मीणा की याचिका खारिज कर दी। 2016 में तत्कालीन सागर एसपी रघुवीर सिंह मीणा की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। दायर याचिका में कहा गया कि 1984 में MPPSC के जरिए वे मप्र पुलिस में DSP चयनित हुए। जाति छानबीन के बाद 1986 में उन्हें नियुक्ति दी गई। 1983 में विदिशा तहसीलदार ने एक प्रमाण-पत्र जारी किया था कि वे जिले के लटेरी गांव के मूलनिवासी एवं मीणा जाति के हैं।
इसके आधार पर 3 जनवरी 1984 को उनका मीणा जाति जो तत्समय आदिमजाति के अंतर्गत आती है, उसका जाति प्रमाण-पत्र जारी किया गया। हालांकि 8 जनवरी 2003 को इस जाति को प्रदेश सरकार ने आदिमजाति की सूची से हटा दिया। 19 मई 2009 को आईजी विजिलेंस के समक्ष यह शिकायत की गई कि याचिकाकर्ता आदिमजाति का नही है।
उसने गुना जिले के चाचौड़ा का निवासी होने के बावजूद फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर नौकरी हासिल कर ली। आदिमजाति कल्याण विभाग आयुक्त के निर्देश पर विदिशा एसपी ने 25 जून 2010 को जांच रिपोर्ट दी। इसमें उसका जाति प्रमाण-पत्र फर्जी बताया गया। छानबीन समिति ने जांच के बाद कार्रवाई करते हुए 16 नवम्बर 2015 को याचिकाकर्ता का उक्त जाति प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया। इसी आदेश को याचिका में चुनौती दी गई।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता का जाति प्रमाण-पत्र विदिशा जिले की लटेरी तहसील के मदावत गांव के निवासी होने के आधार पर आदिमजाति का बना था। जबकि छानबीन कमेटी और पुलिस अधिकारियों की जांच से खुलासा हुआ कि याचिकाकर्ता मूलतः ग्राम अजगरी तहसील चाचौड़ा जिला गुना का निवासी है। उसकी जाति भी अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आती है।
इस मत के साथ कोर्ट ने छानबीन समिति द्वारा याचिकाकर्ता का जाति प्रमाण-पत्र फर्जी पाकर निरस्त करने के उक्त आदेश को सही करार दिया। कोर्ट ने याचिका को सारहीन बताते हुए खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा मेनन के साथ अधिवक्ता मनप्रीत भूमरा ने, जबकि सरकार का पक्ष पूर्व उपमहाधिवक्ता प्रवीण दुबे ने रखा।
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