बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री और सिंधिया की मुलाकात पहले ही हो चुकी है। प्रधानमंत्री और सिंधिया के बीच मध्यस्थता सिंधिया के ससुराल पक्ष से बड़ौदा राजपरिवार की महारानी ने की। उन्होंने ही सिंधिया को भाजपा से संपर्क के लिए तैयार किया। उधर, प्रधानमंत्री ने सिंधिया से बातचीत का जिम्मा नरेंद्र सिंह तोमर को सौंपा, क्योंकि ग्वालियर-चंबल के नेताओं में सिंधिया को लेकर अजीब सा पसोपेश रहता है। बताते हैं कि तीन दिन पहले मीटिंग के लिए सिंधिया तोमर के घर भी जा चुके हैं। वहीं आगे की रणनीति पर उनकी बातचीत हुई थी।
पिछले 10 दिनों में लगातार दो अलग-अलग घटनाक्रम हुए। नरोत्तम मिश्रा ने निर्दलीय एवं कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों से बातचीत करके उन्हें लामबंद किया और दिल्ली ले गए। संजय पाठक, अरविंद भदोरिया और विश्वास सारंग का संगठन ने अपने तरीके से उपयोग किया। इसकी जानकारी दिग्विजय सिंह को लग गई और उन्होंने कुछ भी अप्रिय घटित होने से पहले सरकार को रेस्क्यू कर लिया परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में ना तो मुख्यमंत्री कमलनाथ को कुछ पता था और ना ही दिग्विजय सिंह को। यह सब कुछ बिल्कुल योजना के अनुसार चलता रहा।